दोनों पक्षकारों की सहमति के बाद सुप्रीम कोर्ट ने फिज़िकल सुनवाई के लिए मामला 30 जुलाई को सूचीबद्ध किया
सुप्रीम कोर्ट में आपराधिक मामले में दोनों पक्षकारों के वकीलों द्वारा उनके मामले में शारीरिक रूप से पेश होने (Physical Hearing) की सहमति देने के बाद शीर्ष न्यायालय इस मामले पर 30 जुलाई को फिज़िकल सुनवाई के राज़ी हो गया है।
न्यायमूर्ति एल. नागेश्वर राव और न्यायमूर्ति एस. रवींद्र भट की खंडपीठ शुक्रवार को एक आपराधिक अपील पर सुनवाई कर रही थी और निम्नलिखित आदेश दिया:
"पक्षकारों ने स्वेच्छा से अदालत में फिज़िकल रूप से पेश होने और 30.07.2021 को मामलों पर बहस करने के लिए सहमति व्यक्त की है।"
इस प्रकार मामले को 30 जुलाई 2021 को सूचीबद्ध करने का निर्देश दिया गया।
उल्लेखनीय है कि 23 मार्च, 2020 से सर्वोच्च न्यायालय वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग मोड के माध्यम से कार्य कर रहा है। 23 मार्च को कोर्ट को COVID-19 महामारी के कारण बंद करना पड़ा क्योंकि उसने अदालत परिसर के भीतर वकीलों और वादियों के प्रवेश को निलंबित करने वाला एक परिपत्र जारी किया था।
वर्तमान में वीडियो कांफ्रेंसिंग एप, Vidyo एप के माध्यम से केवल अति आवश्यक मामलों की सुनवाई की जा रही है।
मार्च 2021 में भारत के सर्वोच्च न्यायालय ने 15 मार्च 2021 से हाइब्रिड तरीके से मामलों की सुनवाई शुरू करने का फैसला किया। सर्वोच्च न्यायालय ने चल रहे COVID-19 महामारी और बार एसोसिएशनों द्वारा दिए गए सुझावों पर विचार करते हुए न्यायालय के कामकाज के लिए कई निर्देश और मानक संचालन प्रक्रिया जारी की थी।
सुप्रीम कोर्ट ई-समिति के अध्यक्ष डॉक्टर जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ ने पिछले महीने सभी उच्च न्यायालयों के मुख्य न्यायाधीशों को एक पत्र संबोधित किया था, जिसमें कहा गया था कि चल रहे COVID-19 महामारी के कारण फिज़िकल रूप से सुनवाई करना संभव नहीं है। और अदालतें कुछ समय के लिए सुनवाई के हाइब्रिड मॉडल का सहारा ले सकती हैं।
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