सुप्रीम कोर्ट के फैसले चार क्षेत्रीय भाषाओं में उपलब्ध होंगे: सीजेआई चंद्रचूड़ ने कहा 'लीगल अवतार' में अंग्रेजी 99.9% नागरिकों की समझ से बाहर

Update: 2023-01-24 14:46 GMT

भारत के मुख्य न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ ने मंगलवार को कहा कि सुप्रीम कोर्ट के फैसलों का अब चार भाषाओं - हिंदी, गुजराती, ओडिया और तमिल में अनुवाद किया जाएगा।

सीजेआई चंद्रचूड़ ने कहा कि अंग्रेजी भाषा अपने "कानूनी अवतार" में 99.9% नागरिकों की समझ में नहीं आती है। उन्होंने कहा कि न्याय तक पहुंच तब तक सार्थक नहीं हो सकती जब तक कि नागरिक उस भाषा में समझने में सक्षम न हों, जिसे वे बोलते और समझते हैं।

“एक बहुत ही महत्वपूर्ण पहल जिसे हमने हाल ही में अपनाया है, क्षेत्रीय भाषाओं में सुप्रीम कोर्ट के निर्णयों के अनुवाद के लिए हमारी पहल है, क्योंकि हमें यह समझना चाहिए कि जिस भाषा का हम उपयोग करते हैं, अर्थात् अंग्रेजी, एक ऐसी भाषा है जो हमारे 99.9% नागरिकों के लिए विशेष रूप से अपने कानूनी अवतार में समझने योग्य नहीं है। ऐसे में वास्तव में न्याय तक पहुंच सार्थक नहीं हो सकती, जब तक कि नागरिक हाईकोर्ट में या सुप्रीम कोर्ट में हमारे निर्णय, उस भाषा में समझने में सक्षम न हों, जिस भाषा में वे बोलते और समझते हैं।"

सीजेआई ने स्पष्ट किया कि चार भाषाओं में अनुवाद एक शुरुआत है। वह एक सॉफ्टवेयर के उद्घाटन समारोह में बोल रहे थे जो दिल्ली हाईकोर्ट की डिजीटल न्यायिक फाइलों के ई-निरीक्षण की अनुमति देगा।

सीजेआई ने आगे कहा कि अनुवाद का काम जस्टिस अभय ओका की अध्यक्षता वाली समिति द्वारा सुनिश्चित किया जाएगा।

सीजेआई ने कहा,

"अब इसके लिए हमारा मिशन यह है कि प्रत्येक हाईकोर्ट में दो न्यायाधीशों की एक समिति होनी चाहिए, जिनमें से एक न्यायाधीश होना चाहिए जो अपने व्यापक अनुभव के कारण जिला न्यायपालिका से चुना गया हो। उनमें से अधिकांश ने उन भाषाओं में लिखित निर्णय दिए हैं।"

सीजेआई ने आगे कहा कि विचार यह है कि सुप्रीम कोर्ट के निर्णयों के मशीनी अनुवाद को वैरिफाई करने के लिए हाईकोर्ट अपने स्वयं के अनुवादकों के अलावा अपने सेवानिवृत्त न्यायिक अधिकारियों को भी नियुक्त करेंगे।

"हम प्रक्रिया में हैं ... एक सॉफ्टवेयर है जिसे डेवेलप किया गया है। हम अब एक टीम बना रहे हैं जिससे वे विभिन्न भारतीय भाषाओं में सुप्रीम कोर्ट के फैसलों के अनुवाद के लिए मशीन लर्निंग का उपयोग करेंगे।

सीजेआई ने इस बात पर जोर देते हुए कि इस तरह के मशीनी अनुवाद को निर्णयों में न्यायाधीशों द्वारा वास्तव में जो लिखा गया है, उसके अनुरूप होना चाहिए। उन्होंने कहा कि सेवानिवृत्त न्यायिक अधिकारियों को काम के लिए सुप्रीम कोर्ट द्वारा अपने स्वयं के संसाधनों से भुगतान किया जाएगा "जो वे घर बैठे भी कर सकते हैं।"

सीजेआई ने कहा, "उन्हें यह वैरिफाई करने के लिए हाईकोर्ट के परिसर में आने की ज़रूरत नहीं है कि अनुवाद सही तरीके से किया गया है या नहीं।"

सीजेआई ने टैक्नोलोजी मिशन के हिस्से के रूप में 9 नवंबर, 2022 से अपने द्वारा अपनाई गई कुछ नई पहलों को भी साझा किया।

उन्होंने कहा कि एक नया 'जस्टिस मोबाइल एप्लिकेशन' पेश किया गया है जो वकीलों, एओआर, पत्रकारों, वादियों, सरकारी विभागों और सिस्टम के प्रत्येक हितधारक के लिए सुलभ है।

उन्होंने कहा, "इसका पीछी विचार यह है कि अदालत के मामलों के बारे में रिकॉर्ड और जानकारी की संपूर्णता तक मुफ्त पहुंच प्रदान की जाए।"

सीजेआई चंद्रचूड़ ने यह भी कहा कि पिछले दो महीनों में सुप्रीम कोर्ट की रिपोर्ट, जिसमें 1950 के भौतिक रूप में पुराने निर्णय शामिल हैं, को eSCR में बदल दिया गया है।

सीजेआई ने दिल्ली हाईकोर्ट बार एसोसिएशन के सदस्यों और युवा वकीलों से स्वतंत्र रूप से eSCR का उपयोग करने का अनुरोध करते हुए कहा,

"हमारे लिए अगला कदम ईएससीआर के हिस्से के रूप में न्यूट्रल साइटेशन का उपयोग करना है। ईएससीआर में इलास्टिक सर्च सुविधा है, इसलिए हमने न केवल अपनी कागजी फाइलों को पीडीएफ फाइलों में बदला है, बल्कि हमने उन्हें सर्च इंजन के अनुकूल भी बनाया है।"

सीजेआई चंद्रचूड़ ने यह भी कहा कि उन्होंने सभी हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीशों को पूरे भारत में न्यूट्रल साइटेशन पेश करने के लिए लिखा है। उन्होंने कहा कि न्यूट्रल साइटेशन पूरे भारत में एक फॉर्मेट सुनिश्चित करेंगे।

इसके अलावा, सीजेआई ने यह भी कहा कि सुप्रीम कोर्ट की तरह प्रत्येक हाईकोर्ट के पास आरटीआई अधिनियम के तहत अदालतों से संबंधित जानकारी के प्रकटीकरण की प्रक्रिया को सुव्यवस्थित और सुलभ बनाने के लिए अपना स्वयं का आरटीआई पोर्टल होना चाहिए।

सीजेआई ने यह भी कहा कि सुप्रीम कोर्ट के लिए ई-फाइलिंग सॉफ्टवेयर को अपग्रेड कर दिया गया है और इसे जल्द ही लॉन्च किया जाएगा। उन्होंने कहा, "इसे काफी हद तक अपग्रेड किया गया है। यह अब सुरक्षा ऑडिट पूरा करने की प्रक्रिया में है।"

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