सुप्रीम कोर्ट ने फैसले से नाराज़ होकर जजों पर आरोप लगाने की प्रवृत्ति की निंदा की

Update: 2025-11-10 11:37 GMT

सुप्रीम कोर्ट ने आज उन अधिवक्ताओं की बिना शर्त माफी स्वीकार कर ली जिन्होंने एक उच्च न्यायालय की न्यायाधीश के खिलाफ अपमानजनक याचिका पर हस्ताक्षर किए थे। अदालत ने इस अवसर पर वकीलों को चेतावनी दी कि वे भविष्य में किसी भी ऐसी याचिका पर हस्ताक्षर करने से पहले सतर्क रहें जिसमें न्यायाधीशों के खिलाफ आपत्तिजनक टिप्पणियाँ की गई हों।

चीफ़ जस्टिस बी. आर. गवई और जस्टिस के. विनोद चंद्रन की खंडपीठ उन वकीलों के खिलाफ सुओ मोटू अवमानना कार्यवाही सुन रही थी जिन्होंने तेलंगाना हाईकोर्ट की न्यायमूर्ति मौसमी भट्टाचार्य के खिलाफ "अपमानजनक और घृणित" टिप्पणियों वाली ट्रांसफर याचिका दाखिल करने पर सहमति दी थी।

पहले अदालत ने निर्देश दिया था कि अधिवक्ता न्यायमूर्ति मौसमी भट्टाचार्य के समक्ष अपनी माफी पेश करें ताकि वे उस पर विचार कर सकें।

आज की सुनवाई में पीठ ने बताया कि न्यायमूर्ति मौसमी भट्टाचार्य ने 22 अगस्त को पारित अपने आदेश में संबंधित अधिवक्ताओं की माफी स्वीकार कर ली है।

पीठ ने कहा,

“माननीय न्यायाधीश ने याचिकाकर्ताओं द्वारा दी गई माफी को स्वीकार कर उदारता दिखाई है।”

खंडपीठ ने याचिका का निस्तारण करते हुए कहा,

“हाल के दिनों में हमने यह प्रवृत्ति देखी है कि जब वादकारी को अनुकूल आदेश नहीं मिलता, तो वे न्यायाधीश के खिलाफ अपमानजनक और आधारहीन आरोप लगाने लगते हैं। ऐसी प्रथा की कड़ी निंदा की जानी चाहिए।”

खंडपीठ ने आगे कहा,

“यह भी ध्यान देने योग्य है कि वकील अदालत के अधिकारी माने जाते हैं, और अदालत के अधिकारी के रूप में उनका यह कर्तव्य है कि वे अदालत की गरिमा बनाए रखें।”

सुनवाई के दौरान खंडपीठ ने E. Eswaranathan बनाम State (Deputy Superintendent of Police द्वारा प्रतिनिधित्व) मामले का उल्लेख किया। उस निर्णय में चिएफ़्म्जुस्तिके बी. आर. गवई, जस्टिस के. विनोद चंद्रन और जस्टिस जॉयमल्या बागची की खंडपीठ ने कहा था कि वकीलों को छोटी गलतियों के लिए कठोर रूप से दंडित नहीं किया जाना चाहिए क्योंकि इससे उनके करियर पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है। अदालत ने यह भी कहा था कि

“कानून की महानता किसी को दंडित करने में नहीं, बल्कि गलती करने वाले को क्षमा करने में निहित है।”

आज की कार्यवाही में सुप्रीम कोर्ट ने अधिवक्ताओं की बिना शर्त माफी स्वीकार करते हुए एक सावधानी भरा संदेश भी दिया। अदालत ने कहा,

“हम आरोपित अवमाननाकारियों द्वारा दी गई बिना शर्त माफी स्वीकार करते हैं, लेकिन साथ ही यह चेतावनी देना आवश्यक समझते हैं कि वकीलों को अदालत के अधिकारी के रूप में जिम्मेदारीपूर्वक कार्य करना चाहिए और किसी भी ऐसी याचिका पर हस्ताक्षर करने से पहले सावधान रहना चाहिए जिसमें न्यायाधीशों के खिलाफ अपमानजनक या घृणास्पद आरोप लगाए गए हों।”

इसके साथ ही अदालत ने अवमानना कार्यवाही को समाप्त कर दिया।

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