PMLA अपीलीय ट्रिब्यूनल में रिक्त पदों को भरने के निर्देश वाली याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र को नोटिस जारी किया
सुप्रीम कोर्ट ने उस जनहित याचिका पर केंद्र सरकार को नोटिस जारी किया है, जिसमें धन शोधन निवारण अपीलीय न्यायाधिकरण अधिनियम (एटीपीएमएलए ) में लंबे समय से रिक्त पदों को भरने के लिए निर्देश मांगे गए हैं।
जस्टिस अशोक भूषण की अध्यक्षता वाली पीठ ने केंद्र को चार सप्ताह में जवाब दाखिल करने के निर्देश दिए हैं।
दरअसल अधिवक्ता प्रीति सिंह के माध्यम से वकील-एक्टिविस्ट अमित साहनी ने याचिका दायर की है, जिसमें कहा गया है कि एटीपीएमएलए , जो पीएमएलए, एनडीपीएस एक्ट, फेमा, एसएएफईएमए, आदि से संबंधित संवेदनशील और महत्वपूर्ण मामलों से संबंधित है, न्याय के लिए संघर्ष कर रहा है विशेषकर
इसके अध्यक्ष और चार की स्वीकृत क्षमता से तीन सदस्यों की अनुपस्थिति में, और प्रशासनिक कर्मचारियों की भारी कमी के चलते।
यह प्रस्तुत किया गया है कि ट्रिब्यूनल में एक सदस्य पद 2018 में खाली हो गया, और अध्यक्ष और दो सदस्यों का कार्यकाल 2019 में समाप्त हो गया और तब से, एटीपीएमएलए अपने एकमात्र सदस्य के साथ काम करने के लिए विवश है।
जहां तक प्रशासनिक अमले की बात है, तो दलील यह है कि:
• 2016 और 2020 के बाद से रजिस्ट्रार के दो पद खाली हैं
• वरिष्ठ निजी सचिव के दो पद 2008 से खाली हैं
• निजी सचिव के 3 पद 2016 से रिक्त हैं
• स्टेनो के 3 पद 2016 के बाद से खाली हैं
• अधीक्षक का एक पद 2016 से रिक्त है
• सहायक का एक पद 2016 से रिक्त है
• कोर्ट मास्टर का पद 2016 से रिक्त है
• यूडीसी की रिक्तियां 2019 के बाद से अधूरी हैं
• 2019 के बाद से एलडीसी के पद खाली हैं
• आज तक कुल 23 रिक्त पद हैं
याचिका इस प्रकार कहती है,
"ट्रिब्यूनल के गठन के लिए उच्च न्यायालयों और अन्य न्यायालयों के कार्यों के लिए पूरक है और यह सुनिश्चित करना है कि न्याय के उपभोक्ता की उसकी शिकायतों का त्वरित निवारण हो। बड़ी संख्या में ट्रिब्यूनल में अपूर्ण रिक्तियों के कारण कामकाज की प्रगति में बाधा उत्पन्न होती है। इसलिए, त्वरित न्याय सुनिश्चित करने के लिए चयन और नियुक्तियों की प्रक्रिया को तेज करने की आसन्न आवश्यकता है।"
इस मामले में मद्रास बार एसोसिएशन बनाम भारत संघ पर भरोसा रखा गया है, जहां सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को विभिन्न ट्रिब्यूनल में सदस्यों की नियुक्ति के लिए एक राष्ट्रीय न्यायाधिकरण आयोग गठित करने का निर्देश दिया।
याचिका में आगे कहा गया है कि साहनी ने कई आरटीआई आवेदन दायर किए थे, जिसमें ट्रिब्यूनल में रिक्तियों के बारे में जानकारी मांगी गई थी, जिसमें पता चला था कि अध्यक्ष के पद के अलावा, चार में से तीन सदस्य नियुक्त नहीं हैं।
इसके अलावा, 2016 के बाद से कुछ रिक्तियां हैं और 2008 से कुछ पद खाली हैं। उन्होंने ट्रिब्यूनल में रिक्त पदों को भरने के लिए सरकार को एक प्रतिनिधित्व भी दिया, लेकिन सरकार द्वारा आज तक कोई कदम नहीं उठाया गया है।
साहनी ने कहा,
"एटीपीएमएलए लंबे समय से ध्यान आकर्षित कर रहा है लेकिन सरकार पर्याप्त और उचित कदम उठाने में विफल रही है।"
[नोट: एटीपीएमएलए में एक अध्यक्ष (सुप्रीम कोर्ट या किसी उच्च न्यायालय के सेवानिवृत्त न्यायाधीश) और चार सदस्य (कानून, वित्त और प्रबंधन के क्षेत्रों से हो सकते हैं) शामिल हैं]