सुप्रीम कोर्ट ने धार्मिक नामों और प्रतीकों का उपयोग करने वाले राजनीतिक दलों पर प्रतिबंध लगाने की याचिका पर नोटिस जारी किया

Update: 2022-09-05 06:38 GMT

सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को रिट उस याचिका पर नोटिस जारी किया, जिसमें धार्मिक अर्थों के साथ नामों और प्रतीकों का उपयोग करने वाले राजनीतिक दलों पर प्रतिबंध लगाने की मांग की गई है।

जस्टिस एमआर शाह और जस्टिस कृष्ण मुरारी की पीठ सैयद वज़ीम रिज़वी द्वारा दायर जनहित याचिका पर विचार कर रही थी, जिसमें मतदाताओं को उनके धर्म के आधार पर लुभाने का प्रयास करने से रोकने के लिए जनप्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 (आरओपीए) की धारा 29ए, 123(3) और 123(3ए) के जनादेश को लागू करने की मांग की गई।

याचिकाकर्ता की ओर से सीनियर एडवोकेट गौरव भाटिया ने प्रस्तुत किया कि दो पार्टी जो मान्यता प्राप्त स्टेट पार्टी या प्रादेशिक राजनीतिक दल हैं, उनके नाम में "मुस्लिम" शब्द है। कुछ पार्टियों के आधिकारिक झंडों में अर्धचंद्र और सितारे होते हैं। उन्होंने कहा कि याचिका में कई अन्य पार्टियों को सूचीबद्ध किया गया, जिनके धार्मिक नाम हैं। उन्होंने एस. आर. बोम्मई बनाम भारत संघ के सुप्रीम कोर्ट के बेंच के फैसले पर भी भरोसा किया और प्रस्तुत किया, "यह इस अदालत द्वारा आयोजित किया गया कि धर्मनिरपेक्षता मूल विशेषता का हिस्सा है।"

वकील ने पूछा,

"क्या राजनीतिक दलों के नाम का कोई धार्मिक अर्थ हो सकता है?"

आरपी अधिनियम की धारा 123 का उल्लेख करते हुए पीठ ने प्रश्न पूछा कि क्या प्रतिबंध राजनीतिक दलों पर लागू होगा, क्योंकि यह खंड उम्मीदवार को संदर्भित करता है।

जस्टिस शाह ने पूछा,

"क्या पार्टियां चुनाव के लिए चल रही हैं ... इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग की तरह वे चुनाव के लिए नहीं चल रही हैं और न ही हिंदू एकता दल हैं?"

वकील ने जवाब दिया,

"अगर किसी धार्मिक नाम वाली पार्टी का उम्मीदवार वोट मांगता है तो वह आरपी अधिनियम और धर्मनिरपेक्षता का उल्लंघन करेगा।"

भाटिया ने कहा,

"आईयूएमएल को लें, उनके पास लोकसभा और राज्यसभा में सांसद हैं और केरल में विधायक हैं। यह आदर्श आचार संहिता का उल्लंघन है। हमें यह देखने की जरूरत है कि क्या हम राजनीति को प्रदूषित कर सकते हैं?"

अभिराम सिंह बनाम सी डी कमचेन में सुप्रीम कोर्ट के 7 जजों की बेंच के फैसले पर भी भरोसा किया गया।

पीठ ने मामले की सुनवाई के बाद भारत निर्वाचन आयोग को नोटिस जारी किया, जो 18 अक्टूबर को वापस करने योग्य है। कोर्ट ने उन राजनीतिक दलों से भी पूछा जिनके खिलाफ इस मामले में राहत की मांग की गई।

केस टाइटल: सैयद वज़ीम रिज़वी बनाम भारत निर्वाचन आयोग WP(c) 908/2021

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