सुप्रीम कोर्ट ने असम में कथित फर्जी मुठभेड़ों की स्वतंत्र जांच की मांग वाली याचिका पर नोटिस जारी किया
Fake Encounters In Assam case
सुप्रीम कोर्ट ने असम में कथित फर्जी मुठभेड़ों की स्वतंत्र जांच की मांग करने वाली 2021 में दायर जनहित याचिका पर विचार करने से गुवाहाटी हाईकोर्ट के इनकार के खिलाफ दायर याचिका पर नोटिस जारी किया।
जस्टिस एस रवींद्र भट, जस्टिस अरविंद कुमार की खंडपीठ ने कहा,
“नोटिस जारी करें। राज्य के सरकारी वकील के माध्यम से भी नोटिस दिया जाए।”
याचिकाकर्ता का दावा है कि जनहित याचिका को उसके सामने रखे गए तथ्यों और सामग्रियों के बावजूद "बिना किसी ठोस निर्देश" के निपटा दिया गया।
खुद को असम का निवासी बताने वाले दिल्ली के वकील आरिफ जवादर ने वकील प्रशांत भूषण के माध्यम से याचिका दायर की।
याचिकाकर्ता ने हाईकोर्ट के समक्ष पीपुल्स यूनियन फॉर सिविल लिबर्टीज एंड अन्य बनाम महाराष्ट्र राज्य और अन्य मामले में सुप्रीम कोर्ट द्वारा जारी अवैध मुठभेड़ों की जांच के लिए सोलह दिशानिर्देशों के अनुपालन की मांग की।
याचिकाकर्ता ने मानवाधिकार संरक्षण अधिनियम, 1993 की धारा 30 के अनुरूप असम के प्रत्येक जिले में मानवाधिकार न्यायालय नामित करने की भी मांग की।
याचिकाकर्ता का दावा है कि हाईकोर्ट के समक्ष जनहित याचिका की कार्यवाही के दौरान राज्य द्वारा दायर हलफनामे के अनुसार, लगभग छह महीने में, “असम के 27 जिलों में कुल 101 पुलिस मुठभेड़ हुईं, जिनमें कुल 28 मारे गए।”
अन्य हलफनामे में राज्य ने अपडेट किया।
याचिकाकर्ता ने कहा,
“मई, 2021 से अगस्त, 2022 तक, कुल 171 घटनाएं हुईं, जिनमें से 32 में से 4 हिरासत में मौतें हुईं। असम के जिले और तदनुसार, उक्त घटनाओं के संबंध में 171 अलग-अलग एफआईआर दर्ज की गई।“
याचिकाकर्ता का तर्क है कि एक वर्ष से अधिक समय में पुलिस मुठभेड़ की भारी संख्या में घटनाओं के बावजूद, हाईकोर्ट के समक्ष रखे गए रिकॉर्ड बताते हैं कि राज्य ने पीयूसीएल मामले में अवैध मुठभेड़ों की जांच के लिए सोलह दिशानिर्देशों का पालन नहीं किया।
हाईकोर्ट ने जनवरी, 2023 में जनहित याचिका का निपटारा करते हुए कहा कि एसआईटी गठित करने या जांच सीबीआई को सौंपने का सवाल तभी उठेगा जब तथ्यों पर उचित मामला बनाया जाएगा।
कोर्ट ने आगे कहा कि ऐसे मामले से यह प्रदर्शित होना चाहिए कि पुलिस विभाग ने मामले में उचित कार्रवाई नहीं की, या राज्य अधिकारी कानून की उचित प्रक्रिया का पालन करके दोषियों को दंडित करने के लिए उचित जांच नहीं कर रहे हैं, या कि ऐसा दोषियों को बचाने का कुछ जानबूझकर प्रयास किया गया।
हालांकि, हाईकोर्ट ने कहा,
"रिट याचिका में ऐसा कोई आरोप नहीं है।"
केस टाइल: आरिफ मोहम्मद यासीन जवादर बनाम असम राज्य और अन्य।
याचिकाकर्ता के वकील: एओआर प्रशांत भूषण, एडवोकेट रिया यादव, नेहा पंचपाल।
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