सुप्रीम कोर्ट ने असदुद्दीन ओवैसी पर हमला करने के आरोपी को जमानत पर रिहा करने को चुनौती देने वाली याचिका पर नोटिस जारी किया
सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को संसद सदस्य असदुद्दीन ओवैसी द्वारा दायर याचिका पर लिमिटेड नोटिस जारी किया, जिसमें इस साल 3 फरवरी को उनके वाहन पर गोली चलाने के आरोपी दो व्यक्तियों को इलाहाबाद हाईकोर्ट द्वारा ज़मानत देने केआदेश को चुनौती दी गई है।
यह विचार करने के लिए लिमिटेड नोटिस जारी किया जाता है कि क्या हाईकोर्ट को मामले पर पुनर्विचार करने के लिए कहा जाना चाहिए। हैदराबाद के सांसद ने तर्क दिया कि हाईकोर्ट ने उन्हें पीड़िता के रूप में सुने बिना आदेश पारित किया।
सुप्रीम कोर्ट द्वारा पारित हालिया आदेश का संदर्भ दिया गया है, जिसने लखीमपुर खीरी मामले में आशीष मिश्रा को दी गई जमानत को इस आधार पर रद्द कर दिया कि पीड़ितों की बात नहीं सुनी गई।
जस्टिस एमआर शाह और जस्टिस कृष्ण मुरारी की पीठ ने एआईएमआईएम नेता द्वारा दायर अन्य याचिका को खारिज कर दिया, जिसमें आरोपी अलीम को दी गई जमानत को चुनौती दी गई, जिसने कथित तौर पर छह महीने पहले हमलावरों को पिस्तौल सौंपी थी।
मामले की सुनवाई के दौरान पीठ ने ओवैसी के वकील एडवोकेट एमआर शमशाद से पूछा कि आरोपी अलीम को अपराध से कैसे जोड़ा जा सकता है जबकि आरोप लगाया गया कि उसने 6 महीने पहले हमलावरों को पिस्तौल सौंपी थी।
अन्य आरोपियों के संबंध में पीठ ने पूछा कि क्या कोई पहचान परेड की गई। जब वकील ने नकारात्मक में जवाब दिया तो पीठ ने पूछा कि उन्हें अपराध से कैसे जोड़ा जा सकता है। वकील ने कहा कि आरोपी खुद ओवैसी पर हमला करने का दावा कर रहे हैं। उन्होंने जमानत पर रिहा होने के बाद आरोपी सचिन पंडित द्वारा दिए गए कुछ बयानों का हवाला दिया, जिसमें उन्होंने ओवैसी पर हमला करने का गर्व करने का दावा किया। शमशाद ने कहा कि आरोपी कोई पछतावा नहीं दिखा रहा है और उसने धमकी भरी टिप्पणी की।
वकील ने कहा,
'वह कह रहे हैं कि हमारे दो पूर्व प्रधानमंत्री इतने शक्तिशाली हैं, उनकी किस्मत देखिए...'
केस टाइटल: असदुद्दीन ओवैसी बनाम उत्तर प्रदेश राज्य| डायरी नंबर 26167-2022