सुप्रीम कोर्ट ने कैंसर रोगी को दी गई जमानत के खिलाफ याचिका दायर करने पर ईडी अधिकारी पर 1 लाख रुपये का जुर्माना लगाया
सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने कैंसर रोगी को दी गई जमानत के खिलाफ याचिका दायर करने पर ईडी अधिकारी पर 1 लाख रुपये का जुर्माना लगाया है।
दरअसल, इलाहाबाद उच्च न्यायालय द्वारा घातक और कैंसर से पीड़ित एक व्यक्ति को दिए गए जमानत आदेश में ईडी ने हस्तक्षेप करने की मांग की गई थी।
जस्टिस एमआर शाह और जस्टिस एमएम सुंदरेश की बेंच ने कहा कि जमानत के आदेश में कोर्ट के हस्तक्षेप की जरूरत नहीं है।
पीठ ने कहा,
"मामले के अजीबोगरीब तथ्यों और परिस्थितियों में और इस तथ्य को ध्यान में रखते हुए कि प्रतिवादी मैलिग्नेंसी और कैंसर से पीड़ित है और उसके बाद जब उसे जमानत पर रिहा किया गया है, तो इस अदालत द्वारा हस्तक्षेप करने की आवश्यकता नहीं है। विशेष अनुमति याचिका खारिज की जाती है।"
पीठ ने यह भी कहा कि ईडी को उक्त एसएलपी दाखिल करने की कोई जरूरत नहीं थी। कोर्ट के शब्दों में, एसएलपी कोर्ट के कीमती समय और कानूनी फीस की बर्बादी थी।
इसलिए, अदालत ने याचिका दायर करने की अनुमति देने वाले अधिकारी पर 1,00,000 रुपए का जुर्माना लगाया।
कोर्ट ने आदेश दिया,
"विशेष अनुमति याचिका को अनुकरणीय जुर्माने के साथ खारिज किया जाता है, जिसे संबंधित अधिकारी द्वारा वहन किया जाना है। आज से चार सप्ताह के भीतर विभाग द्वारा इस न्यायालय की रजिस्ट्री में जमा की जाए।"
अदालत ने आदेश दिया कि एक बार राशि जमा हो जाने के बाद, 50,000 रुपये राष्ट्रीय कानूनी सेवा प्राधिकरण, नई दिल्ली और 50,000 रुपये, मध्यस्थता और सुलह परियोजना समिति, सुप्रीम कोर्ट को ट्रांसफर किए जाने चाहिए।
केस टाइटल: सहायक निदेशक प्रवर्तन निदेशालय बनाम कमल अहसन एंड अन्य।
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