सुप्रीम कोर्ट ने तेलंगाना राज्य को टीचिंग पोस्ट में 100% एसटी आरक्षण रद्द करते समय लगाए गए 2.5 लाख रुपये का जुर्माना जमा करने के लिए 2 सप्ताह का समय दिया

Update: 2022-06-07 07:28 GMT

सुप्रीम कोर्ट

सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को तेलंगाना राज्य को 2,50,000 रुपये का जुर्माना जमा करने के लिए 2 सप्ताह का समय दिया। कोर्ट ने अनुसूचित क्षेत्रों के विद्यालयों में शिक्षकों के पोस्ट के लिए अनुसूचित जनजाति को 100% आरक्षण प्रदान करने के लिए तत्कालीन आंध्र प्रदेश राज्य के फैसले को असंवैधानिक करार देतेत हुए रद्द कर दिया था।

तेलंगाना राज्य को इसे जमा करने के लिए 2 सप्ताह का निर्देश देते हुए, जस्टिस एमआर शाह और जस्टिस अनिरुद्ध बोस की अवकाश पीठ ने अपने आदेश में कहा,

"तेलंगाना राज्य के लिए आकांक्षा मेहरा ने कहा है कि तेलंगाना राज्य द्वारा 2,50, 000 रुपये की राशि 2 सप्ताह के भीतर जमा की जाएगी। राज्य को आज से 2 सप्ताह की अवधि के भीतर जमा करने दें, जो कि प्राप्त होने पर रजिस्ट्री को राशि एमसीपीसी के पास जमा करने का निर्देश दिया जाता है।"

पीठ ने आंध्र प्रदेश राज्य द्वारा जमा की गई 2,50,000 रुपये के जुर्माने को एमसीपीसी (मध्यस्थता और सुलह परियोजना समिति, सुप्रीम कोर्ट) को हस्तांतरित करने का भी निर्देश दिया।

पीठ ने अपने आदेश में कहा,

"कार्यालय की रिपोर्ट के अनुसार, एपी राज्य ने इस अदालत द्वारा लगाए गए 2.50,000 जुर्माना जमा कर दी है। वही राशि एमसीपीसी को हस्तांतरित की जाए।"

निर्देश तब जारी किए गए, जब शीर्ष न्यायालय दीवानी अपील में दायर एमए पर विचार कर रहा था, जहां जस्टिस अरुण मिश्रा और जस्टिस इंदिरा बनर्जी, जस्टिस विनीत सरन, जस्टिस एम.आर शाह और जस्टिस अनिरूद्ध बोस की पांच जजों की बेंच ने जीओ नंबर 3 ऑफ 2000 को रद्द किया, लेकिन पांच लाख रुपये का जुर्माना राशि निर्धारित किया, जिसे आंध्र प्रदेश और तेलंगाना राज्यों द्वारा समान रूप से साझा किया जाना था।

कोर्ट ने राज्य और अन्य प्रतिवादियों की याचिका को स्वीकार कर लिया था और इस शर्त पर नियुक्तियों को बचाने के लिए सहमत हो गया था कि पुनर्गठित राज्य यानी आंध्र प्रदेश और तेलंगाना राज्य भविष्य में इसी तरह की कवायद का प्रयास नहीं करेंगे।

कोर्ट ने आगे कहा था कि 1986 से आज तक सरकार द्वारा आरक्षण की सीमा से अधिक होने की स्थिति में की गई नियुक्तियों में से कोई भी बचत नहीं होगी।

बेंच ने राज्यों को भविष्य में आरक्षण की सीमा को पार नहीं करने का भी निर्देश दिया था।

केस टाइटल: चेब्रोलू लीला प्रसाद राव एंड अन्य बनाम एपी एंड अन्य राज्य | एमए 905/2022 सीए नंबर 3609/2002

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