बुजुर्ग और बीमार मां- बाप की देखभाल के लिए सुप्रीम कोर्ट ने UAPA के दो दोषियों को दी अंतरिम जमानत

Update: 2020-11-25 06:04 GMT

Supreme Court of India

सुप्रीम कोर्ट ने यूएपीए के दो दोषियों को अपने माता-पिता की देखभाल करने के लिए एक महीने के लिए अंतरिम जमानत दी है।

दरअसल हाफिज अब्दुल मजीद और अरुण कुमार जैन और कुछ अन्य को गैरकानूनी गतिविधि (रोकथाम) अधिनियम की धारा 18, 18 बी और 20 के तहत अपराध के लिए दोषी ठहराया गया था और आजीवन कारावास की सजा दी गई थी। उच्च न्यायालय ने सजा को बरकरार रखा और सजा को 14 साल के कठोर कारावास में बदल दिया। आरोपियों के खिलाफ मामला यह था कि उन्होंने कथित तौर पर गोला-बारूद और जाली भारतीय मुद्रा संग्रहीत की, और पाकिस्तान में आतंकवादी प्रशिक्षण के लिए एक टीम बनाने की भी कोशिश की।

शीर्ष अदालत के सामने, विशेष अनुमति याचिकाओं के लंबित रहने पर अंतरिम आवेदन दायर करके, आरोपी [हाफिज अब्दुल मजीद] ने प्रस्तुत किया कि उसके पिता 85 वर्ष और माता 80 वर्ष की है। अन्य आरोपी [अरुण कुमार जैन] ने कहा कि उसके पिता 85 वर्ष के हैं और स्थायी रूप से अंधे हैं और वह अपने जीवन के अंतिम चरण में हैं और उसकी मां 75 वर्ष की है और बीमारी से पीड़ित है। उन्होंने अदालत से अनुरोध किया कि उन्हें अपने माता-पिता की देखभाल के लिए कम से कम अवधि के लिए अंतरिम जमानत दी जाए। दोनों पहले ही दस साल जेल की सजा काट चुके हैं।

यद्यपि राज्य ने याचिका का विरोध किया, लेकिन जस्टिस अशोक भूषण, जस्टिस आर सुभाष रेड्डी और जस्टिस एमआर शाह की पीठ ने एक महीने की अवधि के लिए अंतरिम जमानत पर रिहा करने का आदेश दिया।

निम्नलिखित शर्तें लगाई गई हैं:

(1) रिहाई के बाद आवेदक केवल अपने संबंधित निवासों में जाएंगे जहां उनके माता-पिता निवास कर रहे हैं और एक ही स्थान पर पूरी अवधि के दौरान रहेंगे और कहीं और नहीं जाएंगे।

(2 ) अपनी रिहाई के बाद, प्रत्येक तीसरे दिन आवेदक निकटतम पुलिस स्टेशन के समक्ष अपनी उपस्थिति दर्ज करेंगे।

(3) आवेदक 30 दिनों की समाप्ति के बाद अगले दिन आत्मसमर्पण करेंगे।

अदालत ने सुनवाई के लिए याचिकाओं को जनवरी, 2021 के अंत में सूचीबद्ध करने का भी निर्देश दिया।

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