सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र को RBI शाखा में कश्मीरी अलगाववादियों द्वारा विकृत मुद्रा बदले जाने का आरोप लगाने वाली जनहित याचिका पर जवाब दाखिल करने का अंतिम अवसर दिया
यह व्यक्त करते हुए कि केंद्र सरकार इस मामले को गंभीरता से नहीं ले रही है, सु्प्रीम कोर्ट ने भारत सरकार को भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) की जम्मू क्षेत्रीय शाखा की SBI जांच की मांग करने वाली जनहित याचिका पर जवाब दाखिल करने का अंतिम अवसर दिया, जहां 2013 में अलगाववादी समूह द्वारा कथित तौर पर 30 करोड़ रुपये की विकृत भारतीय मुद्राएं बदली गई थीं।
जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस उज्जल भुइयां की खंडपीठ ने आदेश पारित करते हुए कहा,
"भारत सरकार के वकील ने जवाबी हलफनामा दाखिल करने के लिए और समय मांगा। पर्याप्त समय पहले ही दिया जा चुका है। हालांकि, न्याय के हित में 4 सप्ताह के भीतर आवश्यक कार्रवाई करने के लिए एक और लेकिन अंतिम अवसर दिया जाता है। इसके अलावा कोई और समय नहीं दिया जाएगा।"
सुनवाई के दौरान जब केंद्र सरकार के वकील ने जवाब दाखिल करने का आखिरी मौका मांगा और एक बार फिर समय मांगने के लिए माफी मांगी, तो जस्टिस कांत ने टिप्पणी की,
"आप इतना समय ले रहे हैं, और फिर...आप लोग चीजों को गंभीरता से नहीं ले रहे हैं।"
बता दें कि जवाब दाखिल करने के लिए समय पहली बार 6 मार्च, 2020 को संघ को दिया गया था, जब सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने इसके लिए 2 सप्ताह का समय मांगा था। इसके बाद मामला 10 जुलाई, 2024 को आया, जिस तारीख को न तो केंद्र सरकार की ओर से कोई जवाब रिकॉर्ड में मिला और न ही कोई इसके लिए पेश हुआ। तदनुसार, न्यायालय ने रजिस्ट्री को निर्देश दिया कि वह एसजी मेहता को सूचित करे कि यह सुनिश्चित किया जाए कि अपेक्षित हलफनामा 4 सप्ताह के भीतर दाखिल किया जाए।
इसके बाद 20 अगस्त को ASG केएम नटराज ने केंद्र सरकार की ओर से पेश होकर जवाब दाखिल करने के लिए 4 सप्ताह का समय मांगा, या विभिन्न एजेंसियों से प्राप्त सूचनाओं के संकलन के आधार पर स्टेटस रिपोर्ट दाखिल करने के लिए कहा। तब से लेकर आज तक केंद्र सरकार द्वारा जवाब दाखिल नहीं किए जाने पर न्यायालय ने अपनी चिंता व्यक्त की।
संक्षेप में मामला
याचिकाकर्ता-सतीश भारद्वाज ने 2019 में वर्तमान याचिका दायर की, जिसमें आरोप लगाया गया कि "कश्मीर ग्रैफ़िटी" नामक कश्मीरी अलगाववादी समूह ने भारतीय मुद्राओं पर भारत विरोधी नारे लगाए और उन्हें अपने सोशल नेटवर्किंग साइटों पर पोस्ट किया। इसके बाद 30 करोड़ रुपये के मूल्य के विकृत बैंक नोटों को जम्मू क्षेत्र में RBI की शाखा द्वारा बदलने की अनुमति दी गई।
याचिका के अनुसार, RBI Act और RBI (नोट वापसी) नियम 2009 बैंक को विकृत नोटों को बदलने की अनुमति नहीं देते हैं। याचिकाकर्ता ने शुरू में अधिकारियों से जवाब मांगा, लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ।
चूंकि RBI ने उनके RTI प्रश्नों का उत्तर नहीं दिया और CBI ने उनके प्रतिनिधित्व पर कार्रवाई करने में विफल रही, इसलिए याचिकाकर्ता ने नोटों को बदलने की अनुमति देने के लिए RBI के खिलाफ CBI जांच की मांग करते हुए सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया।
अपनी याचिका में उन्होंने कहा,
"RBI के जम्मू क्षेत्रीय शाखा कार्यालय द्वारा 30 करोड़ रुपये के मूल्य के विकृत/अपूर्ण भारतीय मुद्रा नोटों को बदलने का कार्य वह भी कश्मीर के अलगाववादी समूह द्वारा किया गया, जिसका मुख्य उद्देश्य जम्मू-कश्मीर क्षेत्र में शांति और सद्भाव को अस्थिर करना और क्षेत्र के आम निवासियों के मन में तनाव और आतंक का माहौल पैदा करना है, अवैध है। इस न्यायालय के हस्तक्षेप के योग्य है।"
मामला 2020 में आया जब तो तत्कालीन चीफ जस्टिस एसए बोबडे, जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस कांत की पीठ ने कहा कि इसमें "राष्ट्रीय हित" शामिल है और एसजी मेहता से निर्देश लेने को कहा।
केस टाइटल: सतीश भारद्वाज बनाम भारत संघ और अन्य, डब्ल्यू.पी. (सीआरएल.) नंबर 249/2019