सुप्रीम कोर्ट ने गुवाहाटी हाईकोर्ट के फैसले में जज के खिलाफ की गईं टिप्पणियां हटाईं
सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार (10 नवंबर) को विशेष एनआईए अदालत के न्यायाधीश, जो वर्तमान में हाईकोर्ट के मौजूदा न्यायाधीश हैं, उनके खिलाफ गुवाहाटी हाईकोर्ट द्वारा की गई कुछ अपमानजनक टिप्पणियों को हटाने का आदेश दिया।
जस्टिस एएस बोपन्ना और जस्टिस पीएस नरसिम्हा की पीठ ने अपने आदेश में कहा,
"..हमारी राय है कि याचिकाकर्ता के खिलाफ पैराग्राफ 130, 190,191, 192, 193,194 और 233 और आदेश के किसी भी अन्य प्रासंगिक हिस्से में निहित प्रतिकूल टिप्पणियों को हटा दिया गया माना जाएगा और किसी भी तरीके से याचिकाकर्ता के खिलाफ नहीं माना जाएगा।”
याचिकाकर्ता, जो वर्तमान मेंगुवाहाटी हाईकोर्ट के मौजूदा न्यायाधीश हैं, उन्होंने एनआईए मामले में दोषी ठहराए जाने के अपने फैसले के खिलाफ गुवाहाटी हाईकोर्ट के एक फैसले में की गई कुछ अपमानजनक टिप्पणियों को हटाने की मांग करते हुए शीर्ष न्यायालय का दरवाजा खटखटाया था, जब वह एनआईए, गुवाहाटी, असम में एक विशेष न्यायाधीश थे।
शीर्ष अदालत ने यह स्पष्ट कर दिया कि न्यायाधीश के खिलाफ प्रतिकूल टिप्पणियों के बिना, हाईकोर्ट का फैसला लागू रहेगा।
2017 में याचिकाकर्ता ने आईपीसी और गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम, 1967 और शस्त्र अधिनियम, 1959 के तहत विभिन्न अपराधों के लिए आरोपी व्यक्तियों को दोषी ठहराते हुए एक फैसला सुनाया था। 2023 में उन्हें हाईकोर्ट के न्यायाधीश के रूप में पदोन्नत किया गया था।
याचिका में कहा गया है कि हाईकोर्ट की अपमानजनक टिप्पणी अनावश्यक थी और इससे बचा जाना चाहिए था। याचिकाकर्ता ने अपनी याचिका में आग्रह किया कि उच्च न्यायालय की भूमिका उसके अधीनस्थ न्यायपालिका के मित्र, दार्शनिक और मार्गदर्शक की है।
उक्त टिप्पणियां/टिप्पणियां अपील पर निर्णय लेने और आक्षेपित निर्णय देने के लिए आवश्यक नहीं थीं और इसलिए इससे बचा जाना चाहिए था। टिप्पणियों ने याचिकाकर्ता की प्रतिष्ठा को उसके सहयोगियों, वकीलों और वादियों के सामने गहरी चोट पहुंचाई है और उसकी मानसिक शांति को परेशान कर रही है। याचिका में कहा गया है कि इसके अलावा उन्हें शांति और आत्मविश्वास के साथ अपने न्यायिक कर्तव्यों का निर्वहन करने में प्रभावित किया जाएगा ।
केस टाइटल : एक्स बनाम राष्ट्रीय जांच एजेंसी