गायों और मवेशियों में लम्पी स्किन डिसीज़ की रोकथाम के लिए केंद्र और राज्यों की ओर से उठाए गए कदमों से सुप्रीम कोर्ट संतुष्ट
सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में मवेशियों के बीच फैली लम्पी स्किन डिसीज़ (एलएसडी) महामारी से संबंधित एक याचिका को क्लोज़ कर दिया। कोर्ट ने महामारी को रोकने और हल करने के लिए केंद्र और राज्यों सरकार की ओर से उठाए गए उपायों को संतोषजनक माना।
मामले में जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस दीपांकर दत्ता की सुप्रीम कोर्ट की पीठ अनुच्छेद 32 के तहत आशुतोष बंसल (सामाजिक कार्यकर्ता, पशु कार्यकर्ता) की ओर से दायर एक रिट याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें केंद्र और राज्यों को गाय को लम्पी रोग की महामारी से बचाने के लिए नीतियां बनाने का निर्देश देने की मांग की गई थी। निर्णय में अदालत ने राज्यों की ओर से उठाए गए सक्रिय कदमों पर भरोसा जताया।
उल्लेखनीय है कि लम्पी स्किन डिसीज़ (एलएसडी) एक वायरल बीमारी है। यह मुख्य रूप से मवेशियों को प्रभावित करती है। इस बीमारी में त्वचा पर गांठें हो जाती है। मुख्य रूप से यह मच्छरों और मक्खियों के काटने से फैलता है। यह बीमारी पॉक्सवायरस फैमिली के मेंबर लम्पी स्किन डिजीज वायरस (एलएसडीवी) के कारण होती है और यह वायरस दूषित चारे और पानी में मौजूद हो सकता है। मीडिया रिपोर्टों के अनुसार, अप्रैल 2022 में इस बीमारी के फैलने के बाद 75,000 से अधिक मवेशियों की मौत हो गई थी।
गौरतलब है कि इससे पहले, सुप्रीम कोर्ट ने यह पता लगाने के लिए 31 अक्टूबर, 2022 को नोटिस जारी किया था कि क्या भारत सरकार ने गायों और अन्य मवेशियों में लम्पी स्किन डिजीज वायरस (एलएसडीवी) महामारी की रोकथाम और इलाज के लिए एक राष्ट्रीय स्वास्थ्य योजना बनाई है
यूनियन ऑफ इंडिया और भारतीय पशु कल्याण बोर्ड दोनों ने अपने जवाबी हलफनामे में कहा कि संबंधित मामला राज्यों के दायरे में आता है। उन्होंने यह भी कहा कि उन्होंने समय-समय पर दिशानिर्देश और नीति परिपत्र जारी किए हैं, जिसके तहत अब तक लगभग 8.16 करोड़ मवेशियों का टीकाकरण किया जा चुका है।
राजस्थान, महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, गुजरात, हरियाणा, पंजाब राज्यों और दिल्ली सरकार ने अपनी ओर से उठाए गए कदमों के बारे में बताते हुए जवाबी हलफनामे दाखिल किए थे।
केंद्र और राज्यों की ओर से दायर हलफनामों पर न्यायालय ने कहा, "इन कदमों के आलोक में, हम इस बात से संतुष्ट हैं कि इन कार्यवाही को फिलहाल बंद किया जा सकता है। याचिकाकर्ताओं के पास यह विकल्प होगा कि वे किसी भी संबंधित मुद्दे के लिए जब भी आवश्यक हो, केंद्र/राज्य सरकारों से संपर्क कर सकते हैं।''
केस टाइटलः आशुतोष बंसल बनाम यूनियन ऑफ इंडिया
साइटेशनः रिट पीटिशन (सी) नंबर 872/ 2022, रिट पीटिशन (सी) नंबर 865/2022