सुप्रीम कोर्ट ने लंबे समय से लंबित मामलों पर नाराजगी व्यक्त करते हुए शीघ्र निपटान के लिए हाईकोर्ट को निर्देश जारी किए

Update: 2023-10-20 07:18 GMT

देश में लंबित मामलों पर गंभीर चिंता व्यक्त करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने मामलों का शीघ्र निपटारा सुनिश्चित करने के लिए कई निर्देश जारी किए।

जस्टिस एस रवींद्र भट और जस्टिस अरविंद कुमार की खंडपीठ ने त्वरित सुनवाई सुनिश्चित करने और विशेष रूप से 5 साल से अधिक समय से लंबित मामलों के निपटान की निगरानी के लिए हाईकोर्ट को दिशा-निर्देश जारी किए।

सिविल अपील पर फैसला सुनाते हुए खंडपीठ ने दुख के साथ कहा कि ट्रायल कोर्ट में मुकदमा 1982 में शुरू हुआ और 43 साल तक चला। पीठ ने कहा कि उसने राष्ट्रीय न्यायिक डेटा ग्रिड से लंबित मामलों के देशव्यापी आंकड़ों पर गौर किया। साथ ही कहा कि इस मुद्दे के समाधान के लिए बार और बेंच की ओर से संयुक्त प्रयासों की जरूरत है।

फैसले में इस बात पर ज़ोर दिया गया कि जब देरी जारी रहेगी तो वादकारियों का न्यायिक व्यवस्था पर से भरोसा उठ जाएगा।

जस्टिस अरविंद कुमार ने फैसले के ऑपरेटिव हिस्से को पढ़ते हुए कहा,

"जब कानूनी प्रक्रिया कछुआ गति से चलती है तो वादी निराश हो सकते हैं... हमें यह देखकर दुख होता है कि 50 वर्षों से लंबित कुछ मुकदमे राष्ट्रीय न्यायिक डेटा ग्रिड के अनुसार भी लंबित हैं। कुछ सबसे पुराने मामले पश्चिम बंगाल, यूपी में हैं और महाराष्ट्र जो 65 वर्ष से अधिक पुराने हैं।“

जस्टिस कुमार ने फैसला पढ़ते हुए कहा,

"मुकदमदारों को स्थगन की मांग करते समय सतर्क रहना चाहिए और पीठासीन अधिकारियों की अच्छाई को अपनी कमजोरी के रूप में नहीं लेना चाहिए।"

जस्टिस कुमार ने कहा कि कुल ग्यारह निर्देश जारी किए गए हैं, जो फैसला अपलोड होने के बाद पता चल जाएगा। लंबित मामलों की निगरानी के लिए समितियां बनाने के लिए हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस को निर्देश जारी किए गए हैं। समिति हर महीने में कम से कम एक बार बैठक करेगी और पुराने मामलों, खासकर पांच साल से अधिक समय से लंबित मामलों की निगरानी करेगी।

सुप्रीम कोर्ट के महासचिव को निर्णय को सभी हाईकोर्ट में प्रसारित करने का निर्देश दिया गया।

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