सुप्रीम कोर्ट ने LOC रद्द करने के मामले में एक्टर सुशांत सिंह राजपूत के हाउस हेल्प को दी राहत
सुप्रीम कोर्ट ने बॉम्बे हाईकोर्ट के आदेश को केंद्र सरकार की चुनौती को खारिज की, जिसके तहत दिवंगत एक्टर सुशांत सिंह राजपूत के हाउस हेल्प-सैमुअल मिरांडा के खिलाफ़ लुक-आउट-सर्कुलर रद्द कर दिया गया था।
जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस केवी विश्वनाथन की खंडपीठ ने यह आदेश पारित किया, जिसमें इस बात पर विचार किया गया कि मामले को दो बार बुलाए जाने के बावजूद केंद्र सरकार की ओर से कोई भी पेश नहीं हुआ, साथ ही गुण-दोष के आधार पर भी।
खंडपीठ ने कहा,
"मामले को दो बार बुलाया गया। कोई भी पेश नहीं हुआ। अन्यथा भी, गुण-दोष के आधार पर हमें हाई कोर्ट द्वारा पारित सुविचारित आदेश में हस्तक्षेप करने का कोई कारण नहीं मिलता। खारिज किया जाता है।"
संक्षेप में मामला
2020 में एक्टर सुशांत सिंह राजपूत के अपने आवास पर मृत पाए जाने के बाद जांच शुरू की गई थी। एक्टर के पिता ने मिरांडा और अन्य के खिलाफ शिकायत की। उसके बाद पटना में FIR दर्ज की गई। बाद में जांच को CBI को सौंप दिया गया, जिसने मिरांडा के खिलाफ LOC खोली।
एक्टर की मौत के मामले के अलावा, मिरांडा को अन्य लोगों के साथ NDPS मामले में भी आरोपित किया गया। हालांकि, उन्हें उक्त मामले में जमानत दी गई।
2024 में मिरांडा ने CBI द्वारा 2020 में उनके खिलाफ खोले गए LOC रद्द करने के लिए हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया। यह तर्क दिया गया कि पुलिस ने कोई रिपोर्ट दर्ज नहीं की थी और LOC 3.5 साल से लंबित थी। इसके अलावा, यह दावा किया गया कि मिरांडा के विदेश यात्रा के अधिकार और इस तरह, अनुच्छेद 21 के तहत मौलिक अधिकार का उल्लंघन हुआ।
रिकॉर्ड का अवलोकन करने के बाद हाईकोर्ट ने LOC खोलने के कारणों की अपर्याप्तता और इसे जारी रखने के लिए आधार की अनुपस्थिति को देखते हुए मिरांडा के खिलाफ खोले गए LOC रद्द कर दिया।
आदेश में दर्ज किया गया:
"LOC जारी करने के 'कारण' को दर्शाने वाली कोई भी बात हमारे संज्ञान में नहीं लाई गई, सिवाय FIR दर्ज करने और FIR का सार बताने के। न ही LOC जारी रखने के लिए कोई बात रिकॉर्ड में लाई गई। न ही प्रतिवादी नंबर 1 - CBI ने एक साल की अवधि समाप्त होने के बाद LOC जारी रखने/नवीनीकरण के लिए CBI द्वारा किए गए किसी भी अनुरोध को हमारे सामने रखा है। बेशक, आज तक CBI द्वारा कोई रिपोर्ट दाखिल नहीं की गई, यानी न तो चार्जशीट और न ही क्लोजर रिपोर्ट। इस बात पर कोई विवाद नहीं है कि याचिकाकर्ता जांच में शामिल हुआ और उसने जांच में सहयोग किया। हमने पहले ही उसी मामले में सह-आरोपी की याचिका स्वीकार की और उसके खिलाफ जारी LOC रद्द कर दी।"
इसमें आगे कहा गया:
"इसमें कोई विवाद नहीं है कि याचिकाकर्ता की जड़ें समाज में हैं। यात्रा करने का अधिकार एक मौलिक अधिकार है। इसे कानून द्वारा स्थापित उचित प्रक्रिया के अलावा कम नहीं किया जा सकता। LOC जारी करने के प्रारूप के तहत गिरफ्तारी से बचने वाले या अन्यथा किसी व्यक्ति की गिरफ्तारी के संबंध में 'कारण' दिए जाने चाहिए। हालांकि, LOC जारी करने के लिए समेकित दिशा-निर्देश हैं, यहां तक कि उक्त समेकित दिशा-निर्देशों के तहत भी LOC की समय-समय पर समीक्षा की जानी चाहिए, कि क्या इसे जारी रखने के लिए आधार मौजूद हैं।"
केस टाइटल: यूनियन ऑफ इंडिया बनाम सैमुअल मिरांडा, डायरी नंबर 46240/2024