सुप्रीम कोर्ट ने शिक्षक भर्ती घोटाले में पीएमएलए मामले में ईडी की गिरफ्तारी को चुनौती देने वाली टीएमसी नेता माणिक भट्टाचार्य की याचिका खारिज की
सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को पश्चिम बंगाल बोर्ड ऑफ प्राइमरी एजुकेशन के पूर्व अध्यक्ष और तृणमूल कांग्रेस के नेता माणिक भट्टाचार्य द्वारा दायर याचिका खारिज कर दी, जिसमें शिक्षक नियुक्ति घोटाले के संबंध में मनी लॉन्ड्रिंग मामले में प्रवर्तन निदेशालय द्वारा उनकी गिरफ्तारी को चुनौती दी गई थी।
जस्टिस अनिरुद्ध बोस और जस्टिस विक्रम नाथ की खंडपीठ ने माणिक भट्टाचार्य को अपने वकीलों से मिलने की अनुमति देने की याचिका भी खारिज कर दी। खंडपीठ ने कहा कि यह आवेदन उपयुक्त अदालत के समक्ष किया जाना चाहिए।
कोर्ट ने दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद 18 अक्टूबर, 2022 को आदेश सुरक्षित रख लिया था। भट्टाचार्य की ओर से पेश सीनियर एडवोकेट मुकुल रोहतगी ने तर्क दिया कि अदालत ने सीबीआई के मामले में भट्टाचार्य को संरक्षण दिया। उन्होंने अदालत को इस तथ्य से भी अवगत कराया कि भट्टाचार्य जांच में सहयोग कर रहे हैं।
रोहतगी ने बताया कि माणिक भट्टाचार्य के मामले में दायर रिमांड अर्जी को पार्थ चटर्जी और अर्पिता मुखर्जी के साथ मिलाया जा रहा है। उन्होंने आगे कहा कि भट्टाचार्य से एक पैसा भी वसूल नहीं किया गया, लेकिन फिर भी यह कहा गया कि बड़ी मात्रा में राशि की वसूली की गई।
प्रवर्तन निदेशालय की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने याचिकाकर्ताओं की दलीलों का विरोध करते हुए कहा कि यह स्वतंत्र एजेंसी द्वारा स्वतंत्र जांच है। उन्होंने यह भी बताया कि मामले में उच्च स्तरीय अधिकारी शामिल हैं।
शिक्षक नियुक्ति घोटाले में मनी लॉन्ड्रिंग मामले में माणिक भट्टाचार्य को 10 अक्टूबर, 2022 को गिरफ्तार किया गया था। पश्चिम बंगाल के तत्कालीन शिक्षा मंत्री पार्थ चटर्जी और अर्पिता मुखर्जी को जुलाई, 2022 में गिरफ्तार किया गया था।
कोर्ट ने बुधवार को कलकत्ता हाईकोर्ट के आदेश पर रोक लगा दी थी, जिसने उन्हें डब्ल्यूबीबीपीई के अध्यक्ष के पद से हटा दिया था, लेकिन हाईकोर्ट द्वारा आदेशित सीबीआई जांच पर रोक लगाने से इनकार कर दिया।