सुप्रीम कोर्ट ने प्राइवेसी पॉलिसी में सीसीआई जांच के खिलाफ दायर व्हाट्सएप-मेटा की याचिका खारिज की

Update: 2022-10-14 10:13 GMT

सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को व्हाट्सएप और उसकी मूल कंपनी मेटा (फेसबुक) द्वारा दायर याचिकाओं को खारिज कर दिया, जिसमें भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग (सीसीआई) द्वारा उनकी प्राइवेसी पॉलिसी की जांच पर रोक लगाने की मांग की गई थी।

जस्टिस एमआर शाह और जस्टिस सुधांशु धूलिया की पीठ ने दिल्ली हाईकोर्ट की खंडपीठ के आदेश को चुनौती देने वाली व्हाट्सएप और मेटा द्वारा दायर याचिकाओं को खारिज कर दिया, जिसने सीसीआई जांच पर रोक लगाने से इनकार कर दिया था।

पीठ ने आदेश में इस प्रकार कहा:

"सीसीआई प्रतिस्पर्धा अधिनियम, 2002 के प्रावधान के किसी भी उल्लंघन पर विचार करने के लिए स्वतंत्र प्राधिकरण है। जब प्रथम दृष्टया यह माना जाता है कि यह अधिनियम, 2002 के उल्लंघन का मामला है। उसके बाद जब सीसीआई द्वारा कार्यवाही शुरू की जाती है तो यह नहीं कहा जा सकता कि सीसीआई की कार्यवाही की शुरुआत पूरी तरह से अधिकार क्षेत्र के बिना है। सुप्रीम कोर्ट की मिसाल ने माना कि सीसीआई के समक्ष कार्यवाही जल्द से जल्द पूरी की जानी चाहिए। उपरोक्त के मद्देनजर, सीसीआई को आगे प्रतिस्पर्धा अधिनियम के कथित उल्लंघन के लिए जांच के साथ आगे बढ़ने से नहीं रोका जा सकता है। पक्षकारों के लिए उपलब्ध सभी तर्कों को खुला रखा जाता है। हाईकोर्ट द्वारा किए गए किसी भी अवलोकन को अस्थायी/प्रथम दृष्टया माना जाएगा।

मेटा की ओर से पेश सीनियर एडवोकेट कपिल सिब्बल ने प्रस्तुत किया कि सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ वर्तमान में व्हाट्सएप की प्राइवेटी पॉलिसी की वैधता से संबंधित याचिका पर सुनवाई कर रही है। मामले को जनवरी, 2023 में सुनवाई के लिए पोस्ट किया गया। उन्होंने कहा कि नया पर्सनल डेटा प्रोटेक्शन बिल संसद के शीतकालीन सत्र में पेश होने की संभावना है। इस पृष्ठभूमि में सीसीआई को मामले में अंतिम आदेश पारित करने को टालना चाहिए।

हालांकि, पीठ ने पूछा कि संविधान पीठ की सुनवाई सीसीआई की स्वतंत्र वैधानिक शक्तियों के प्रयोग को कैसे प्रभावित कर सकती है।

जस्टिस शाह ने कहा,

"सीसीआई स्वतंत्र वैधानिक निकाय है। उनकी कार्यवाही को रोका नहीं जा सकता है।"

सिब्बल ने जवाब दिया,

"मैं यह नहीं कह रहा हूं कि कार्यवाही रोक दी जानी चाहिए। मैं सिर्फ इतना कह रहा हूं कि अंतिम आदेश पारित न करें।"

जस्टिस शाह ने कहा,

"हमें नहीं पता कि उनकी जांच का नतीजा क्या होगा, आप सीसीआई से संपर्क करें और अनुरोध करें।"

इस मौके पर मेटा की ओर से सीनियर एडवोकेट मुकुल रोहतगी ने भी प्रस्तुत किया कि सीसीआई पर न्यायिक प्रतिबंध है।

जस्टिस शाह ने दोहराया,

"जांच को आगे बढ़ने दें, जांच को चलने दें। फिर अंतिम आदेश क्या है, हम इसे सीसीआई पर छोड़ देंगे।"

सीसीआई की ओर से भारत के अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल एन वेंकटरमण ने कहा कि प्राधिकरण केवल प्रभुत्व के दुरुपयोग के मुद्दे की जांच कर रहा है और कोई संवैधानिक प्रश्न तय नहीं कर रहा है। इसलिए सुप्रीम कोर्ट की कार्यवाही के साथ कोई ओवरलैप नहीं है।

एएसजी ने कहा,

"हम एक बाजार नियामक हैं। हम जांच कर रहे हैं कि क्या उनकी प्राइवेटी पॉलिसी द्वारा प्रभुत्व का दुरुपयोग किया गया। व्यक्ति व्हाट्सएप का उपयोग करते हैं, क्या लंबित पॉलिसी सही है। व्हाट्सएप द्वारा डेटा शेयर किया जा रहा है, फिर वे उसके आधार पर विज्ञापन देते हैं। अनुच्छेद 21 इसका इससे कोई लेना-देना नहीं है। उनके साथ डेटा की एकाग्रता का परिणाम दुरुपयोग होता है।"

उन्होंने कहा कि दिल्ली हाईकोर्ट की एकल पीठ और खंडपीठ दोनों ने मेटा की याचिका को स्वीकार करने से इनकार कर दिया।

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