सुप्रीम कोर्ट ने पंजाब के डीजीपी दिनकर गुप्ता की नियुक्ति को चुनौती देने वाली याचिकाएं खारिज की

Update: 2021-11-16 06:17 GMT

सुप्रीम कोर्ट

सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को पंजाब के पुलिस महानिदेशक के रूप में दिनकर गुप्ता की नियुक्ति को बरकरार रखने के पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट के आदेश के खिलाफ दायर विशेष अनुमति याचिकाओं को खारिज कर दिया।

जस्टिस एल नागेश्वर राव, जस्टिस संजीव खन्ना और जस्टिस बीआर गवई की पीठ ने आईपीएस अधिकारी सिद्धार्थ चट्टोपाध्याय और मोहम्मद मुस्तफा की याचिकाओं को खारिज किया, जिन्होंने 7 फरवरी, 2019 को दिनकर गुप्ता को पंजाब डीजीपी नियुक्त करने के आदेश को चुनौती दी थी।

पीठ ने 15 सितंबर,2021 को याचिका पर आदेश सुरक्षित रख लिया था। कैप्टन अमरिंदर सिंह की जगह चरणजीत सिंह चन्नी के मुख्यमंत्री बनने के बाद बाद अक्टूबर, 2021 में दिनकर गुप्ता छुट्टी पर चले गए थे।

सुनवाई का विवरण

सिद्धार्थ चट्टोपाध्याय (1986 बैच के अधिकारी) की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता कृष्णन वेणुगोपाल ने तर्क दिया कि चट्टोपाध्याय को पैनल में शामिल करने के लिए अयोग्य माना गया था, क्योंकि तत्कालीन डीजीपी सुरेश अरोड़ा, जोकि डीजीपी पद के चयन के लिए पैनल समिति के पदेन सदस्य थे, वह उनके खिलाफ पक्षपाती थे।

मोहम्मद मुस्तफा (अब सेवानिवृत्त) की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता परमजीत सिंह पटवालिया ने गुप्ता को नियुक्त करने की प्रक्रिया का वर्णन करने के लिए केंद्रीय प्रशासनिक न्यायाधिकरण (कैट) द्वारा इस्तेमाल किए गए "फार्स" शब्द पर जोर दिया, और प्रस्तुत किया कि पूरी चयन प्रक्रिया पूरी एक व्यक्ति को चुनने के लिए ही तैयार की गई थी।

संघ लोक सेवा आयोग की ओर से पेश एएसजी अमन लेखी ने कहा कि मसौदा दिशानिर्देश, 2009 कानूनी, बाध्यकारी और प्रकाश सिंह के फैसले के अनुरूप थे। यह तर्क देते हुए कि दिशानिर्देशों को सुप्रीम कोर्ट ने अनुमोदित किया था, एएसजी ने कहा कि चयन योग्यता के आधार पर किया गया था न कि दुर्भावना के आधार पर।

पंजाब राज्य का प्रतिनिधित्व करते हुए, वरिष्ठ अधिवक्ता मुकुल रोहतगी ने कहा कि मसौदा दिशानिर्देशों के आधार पर 2009 में कई नियुक्तियां की गई थीं और यह पहली बार नहीं था कि 2020 में उनके आधार पर नियुक्ति की गई थी।

पूर्व डीजीपी सुरेश अरोड़ा की ओर से पेश वरिष्ठ वकील श्याम दीवान ने प्रस्तुत किया कि पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट के साथ-साथ कैट ने याचिकाकर्ताओं के तर्क को खारिज कर दिया था कि सुरेश अरोड़ा के खिलाफ पूर्वाग्रह की संभावना थी।

मौजूदा डीजीपी दिनकर गुप्ता की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता मेनिंदर सिंह ने पुलिस अधिकारियों और ड्रग माफिया के बीच सांठगांठ की जांच के लिए गठित एसआईटी की ओर से सिद्धार्थ चट्टोपाध्याय द्वारा पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट में जमा की गई स्थिति रिपोर्ट पर गंभीर आपत्ति जताई।

पृष्ठभूमि

आईपीएस अधिकारी मोहम्मद मुस्तफा और सिद्धार्थ चट्टोपाध्याय (क्रमशः पंजाब कैडर से संबंधित 1985 और 1986 बैच) ने केंद्रीय प्रशासनिक न्यायाधिकरण में 7 फरवरी, 2019 के आदेश को चुनौती दी थी, जिसमें पंजाब सरकार ने यूपीएससी पैनल समिति की सिफारिशों के आधार पर पंजाब कैडर के 1987 बैच के आईपीएस अधिकारी दिनकर गुप्ता को पुलिस महानिदेशक नियुक्त किया था।

आईपीएस अधिकारी के आवेदन पर कैट के अध्यक्ष एल नरसिम्हा रेड्डी और एम जमशेद की दो सदस्यीय पीठ ने डीजीपी के रूप में गुप्ता की नियुक्ति को रद्द कर दिया और पाया कि डीजीपी के चयन और नियुक्ति के उद्देश्य से पैनल तैयार करने के लिए यूपीएससी और पैनल समिति द्वारा अपनाई गई प्रक्रिया माननीय सुप्रीम कोर्ट द्वारा "प्रकाश सिंह और अन्य बनाम यूनियन ऑफ इंडिया और अन्य" (2006) 8 एससीसी 1" में निर्धारित प्रक्रिया का उल्‍लंघन करती थी।

कैट के आदेश से व्यथित यूपीएससी, पंजाब राज्य और दिनकर गुप्ता ने पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया था।

जस्टिस सावंत सिंह और जस्टिस संत प्रकाश की खंडपीठ ने 6 नवंबर, 2020 को यह कहते हुए कि कैट ने "चयन समिति के निर्णयों / सिफारिशों की न्यायिक समीक्षा के संबंध में कानून के क्षेत्र में अतिक्रमण करके न्यायिक समीक्षा की अपनी शक्ति को पार कर लिया" कैट के उस आदेश को खारिज कर दिया जिसने दिनकर की नियुक्ति को रद्द कर दिया था।

केस शीर्षक: मोहम्मद मुस्तफा बनाम यूनियन ऑफ इंडिया और अन्य एसएलपी (सी) 14623/2020, सिद्धार्थ चट्टोपाध्याय बनाम संघ लोक सेवा आयोग एसएलपी (सी) संख्या 14982/202

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