BREAKING| जारी रहेगी केंद्र सरकार की E20 पेट्रोल नीति, सुप्रीम कोर्ट ने चुनौती देने वाली याचिका की खारिज
सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार (1 सितंबर) को केंद्र सरकार के इथेनॉल मिश्रण कार्यक्रम को चुनौती देने वाली जनहित याचिका खारिज की। केंद्र सरकार के इस कार्यक्रम के तहत 20% इथेनॉल (E20) मिश्रित पेट्रोल की बिक्री अनिवार्य की गई है।
चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया (सीजेआई) बीआर गवई और जस्टिस के विनोद चंद्रन की खंडपीठ ने मामले की सुनवाई की।
याचिकाकर्ता की ओर से सीनियर एडवोकेट शादान फरासत ने नीति आयोग की 2021 की रिपोर्ट का हवाला दिया, जिसमें उन्होंने कहा कि E20 मानकों का पालन न करने वाले पुराने वाहनों के प्रभाव के बारे में चिंता व्यक्त की गई। उन्होंने स्पष्ट किया कि याचिकाकर्ता इथेनॉल-मिश्रण के खिलाफ नहीं है, बल्कि केवल 2023 से पहले निर्मित उन वाहनों के लिए इथेनॉल-मुक्त पेट्रोल का विकल्प मांग रहा था, जो E20 मानकों के अनुकूल नहीं हैं।
फरासत ने कहा कि केवल अप्रैल 2023 के बाद निर्मित वाहन ही E20 पेट्रोल मानकों के अनुरूप हैं। उन्होंने E20 के इस्तेमाल से ईंधन दक्षता में 6% की गिरावट से जुड़ी रिपोर्टों का हवाला दिया। उन्होंने इस बात पर ज़ोर दिया कि नीति आयोग ने भी E10 या E0 पेट्रोल के विकल्प की उपलब्धता की कमी पर चिंता जताई।
अटॉर्नी जनरल आर. वेंकटरमण ने याचिका का विरोध करते हुए कहा कि याचिकाकर्ता सिर्फ़ "नाम-ब्याज" का काम कर रहा है। उसके पीछे एक बड़ी लॉबी काम कर रही है। उन्होंने ज़ोर देकर कहा कि सरकार ने सभी पहलुओं पर विचार करने के बाद नीति तैयार की है। अटॉर्नी जनरल ने कहा कि इस नीति से भारत के गन्ना किसानों को फ़ायदा हो रहा है।
अटॉर्नी जनरल ने कहा,
"क्या देश के बाहर के लोग यह तय करेंगे कि भारत को किस तरह के ईंधन का इस्तेमाल करना चाहिए?"
अटॉर्नी जनरल की दलील के बाद चीफ जस्टिस ने याचिका को "खारिज" घोषित कर दिया।
Case: Akshay Malhotra v. Union of India | W.P.(C) No. 000813 / 2025