सुप्रीम कोर्ट ने शोध कार्यों को साहित्यिक चोरी से बचाने के लिए दिशा-निर्देश जारी किए जाने की मांग करने वाली याचिका खारिज की

Update: 2023-03-25 05:16 GMT

सुप्रीम कोर्ट ने शोध के दुरुपयोग या साहित्यिक चोरी से बचने के लिए थीसिस के रूप में विद्वानों द्वारा किए गए शोध के संरक्षण की मांग वाली याचिका शुक्रवार को खारिज कर दी।

जस्टिस केएम जोसेफ और जस्टिस बीवी नागरत्ना की खंडपीठ ने व्यक्तिगत रूप से पक्ष की सुनवाई करते हुए याचिका खारिज कर दी। याचिका खारिज करते हुए खंडपीठ ने कहा कि यह आश्वस्त नहीं है।

खंडपीठ ने कहा,

"याचिकाकर्ता को व्यक्तिगत रूप से सुनने के बाद हम आश्वस्त नहीं हैं कि याचिकाकर्ता ने हस्तक्षेप के लिए मामला बनाया है। रिट याचिका खारिज हो जाएगी।”

याचिकाकर्ता, आपराधिक मनोविज्ञान में पीएचडी होल्डर, जिसने "ब्लॉकचैन टेक्नोलॉजी में डेटाबेस" का आविष्कार करने का भी दावा किया है, उसने थीसिस में विद्वानों द्वारा किए गए शोध के संरक्षण के लिए दिशानिर्देश तैयार करने के लिए केंद्र सरकार को निर्देश देने की मांग की, जिससे इसका दुरुपयोग न हो।

बेंच ने याचिका में स्पष्टता और आधार की कमी पर उनसे सवाल किया।

खंडपीठ ने कहा,

“आपको ये सभी विचार कहां से मिले और इनका आधार क्या हैं? आपने बिल्कुल भी स्पष्टता नहीं दी…। यह क्या है? बिना किसी ब्यौरे के हम आपकी मदद नहीं कर सकते।”

याचिकाकर्ता ने कोर्ट में जवाब देने की कोशिश की।

"मैंने शोध किया था - "राजकुमारी डायना की मौत के पीछे का रहस्य"। मैंने इसे अपने शिक्षकों को सौंप दिया। मेरे शिक्षक अब मेरा नाम बदल सकते हैं, अपना नाम रख सकते हैं और इसे प्रकाशित कर सकते हैं। तब कोई मुझ पर विश्वास नहीं करेगा।”

हालांकि, अदालत ने प्रस्तुतियां पर विचार करने से इनकार कर दिया और याचिका खारिज कर दी।

केस टाइटल: अंकुर भाकर बनाम भारत संघ | डब्ल्यूपी [सी] नंबर 191/2023

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