सुप्रीम कोर्ट ने 2019 लोकसभा चुनाव में वायनाड से राहुल गांधी के चुनाव को चुनौती देने वाली याचिका खारिज की

Update: 2022-12-17 07:42 GMT

सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को 2019 के लोकसभा चुनाव में वायनाड निर्वाचन क्षेत्र से कांग्रेस नेता राहुल गांधी के चुनाव को चुनौती देने वाली याचिका खारिज कर दी।

जस्टिस एएस बोपन्ना और जस्टिस दीपांकर दत्ता की पीठ ने हाई प्रोफाइल सौर घोटाला मामले में आरोपी सरिता नायर द्वारा दायर याचिका खारिज कर दी, जिसका वायनाड सीट से चुनाव लड़ने का नामांकन खारिज कर दिया गया।

याचिकाकर्ता ने अक्टूबर, 2019 में केरल हाईकोर्ट द्वारा याचिका खारिज किए जाने और दिए गए फैसले को चुनौती देते हुए सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया।

सुप्रीम कोर्ट ने 2020 में पहले वकील की गैर-उपस्थिति के लिए उसकी विशेष अनुमति याचिका खारिज कर दी थी। बाद में उसके वकील ने याचिका की बहाली की मांग करते हुए आवेदन दायर किया, जिसमें कहा गया कि डिफ़ॉल्ट वीसी के माध्यम से पेश होने में तकनीकी कठिनाइयों के कारण है।

खंडपीठ ने शुक्रवार को याचिका को बहाल कर दिया और गुण-दोष के आधार पर इसे खारिज कर दिया।

पीठ ने अपने आदेश में कहा,

"योग्यता के आधार पर याचिकाकर्ता के वकील को सुनने के बाद हमें विवादित आदेश में हस्तक्षेप करने का कोई कारण नहीं दिखता। तदनुसार, विशेष अनुमति याचिका खारिज की जाती है।"

हाईकोर्ट ने माना कि जनप्रतिनिधित्व अधिनियम की धारा 83 के तहत अनिवार्य रूप से याचिका को उचित प्रारूप में दायर और सत्यापित नहीं किया गया।

हाईकोर्ट ने कहा,

"...याचिकाकर्ता ने कानून की अनिवार्य आवश्यकताओं के अनुसार चुनाव याचिका दायर नहीं की और कई अनुलग्नकों को सत्यापित किए बिना और इसे ठीक से चिह्नित किए बिना आकस्मिक तरीके से दायर किया है।"

इसके अलावा, हाईकोर्ट ने कहा कि सरिता एस नायर को धोखाधड़ी के दो आपराधिक मामलों में दोषी ठहराया गया और इसलिए आरपी अधिनियम की धारा 8 (3) के अनुसार चुनाव लड़ने से अयोग्य घोषित किया गया। इसलिए हाईकोर्ट ने कहा कि उसकी चुनाव याचिका पोषणीय नहीं है। वास्तव में एर्नाकुलम और वायनाड निर्वाचन क्षेत्रों से चुनाव लड़ने के लिए उनके नामांकन को रिटर्निंग अधिकारियों ने इस आधार पर खारिज कर दिया। हालांकि सरिता नायर ने बताया कि गांधी के खिलाफ अमेठी (यूपी) में चुनाव लड़ने के लिए उनके नामांकन को वहां के रिटर्निंग ऑफिसर ने स्वीकार कर लिया, हाईकोर्ट ने इस तर्क को स्वीकार नहीं किया कि वह चुनाव लड़ने के लिए अयोग्य हैं।

हाईकोर्ट के जस्टिस शाजी पी चाली की पीठ ने कहा,

".. चुनाव याचिकाओं को अधिनियम, 1951 की धारा 86 (1) के संदर्भ में ऊपर बताए गए लाइलाज दोषों के आधार पर खारिज कर दिया गया और यह कि याचिकाकर्ता को अधिनियम, 1951 की धारा 8(3) सपठित संविधान के अनुच्छेद 102(1)(ई) के तहत निहित अवरोधों के मद्देनजर चुनाव लड़ने से अयोग्य घोषित किया गया।"

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