उत्तराखंड हत्याकांड में सुप्रीम कोर्ट ने सीसीटीवी फुटेज के साथ जांच अधिकारी को व्यक्तिगत रूप से पेश होने का निर्देश दिया
पिछले साल उत्तराखंड में युवक की हत्या से जुड़े मामले में आरोपी को दी गई ज़मानत रद्द करने की याचिका पर विचार करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने जांच अधिकारी को अगली सुनवाई की तारीख पर मामले के दस्तावेज़ों और अपराध की सीसीटीवी फुटेज के साथ व्यक्तिगत रूप से उपस्थित रहने का निर्देश दिया।
यह मामला नवंबर, 2024 में देहरादून ज़िले के रायपुर में युवक की कथित तौर पर सात लोगों द्वारा की गई हत्या से संबंधित है। पीड़ित के भाई के कहने पर प्राथमिकी दर्ज की गई थी।
मई में उत्तराखंड हाईकोर्ट ने आरोपी प्रियांशु चौहान को ज़मानत दे दी थी। इस आदेश को चुनौती देते हुए पीड़ित के भाई ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया।
याचिकाकर्ता ने तर्क दिया कि भले ही प्रियांशु चौहान का नाम FIR में नहीं था, लेकिन जांच अधिकारी द्वारा एकत्र किए गए सीसीटीवी फुटेज से पता चलता है कि वह पीड़ित पर हमला करने वाले हमलावरों में से एक था। इस संदर्भ में, न्यायालय ने जांच अधिकारी को सीसीटीवी फुटेज के साथ पेश होने का निर्देश दिया।
मामले में सह-आरोपी फरार बताए गए।
राज्य और अभियुक्तों को 8 अगस्त तक जवाब देने के लिए नोटिस जारी करते हुए जस्टिस जेबी पारदीवाला और जस्टिस आर महादेवन की खंडपीठ ने कहा:
"अगली सुनवाई की तारीख पर जांच अधिकारी अपनी जांच के दस्तावेज़ों के साथ व्यक्तिगत रूप से उपस्थित रहें और उन्हें सीसीटीवी फुटेज की रिकॉर्डिंग भी अपने साथ लानी चाहिए।"
हाईकोर्ट ने नवंबर, 2024 में गिरफ्तार किए गए अभियुक्त को यह कहते हुए ज़मानत दे दी कि उसके खिलाफ जाँच पूरी हो चुकी है। उसका कोई आपराधिक रिकॉर्ड नहीं है।
Case : Aman Joshi v. State of Uttarakhand | Diary No.31655/2025