ISKCON, बैंगलोर के खिलाफ ISKCON, मुंबई की पुनर्विचार याचिका पर सुप्रीम कोर्ट का खंडित फैसला
इस साल मई में दिए गए अपने फैसले के खिलाफ इंटरनेशनल सोसाइटी फॉर कृष्णा कॉन्शियसनेस (ISKCON) सोसाइटी, मुंबई द्वारा दायर पुनर्विचार याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने विभाजित फैसला सुनाया। इस फैसले में कहा गया कि बेंगलुरु स्थित ISKCON मंदिर, ISKCON सोसाइटी, बैंगलोर का है।
दो जजों की पीठ में मतभेद को देखते हुए अब यह मामला आगे की कार्रवाई के लिए चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया (सीजेआई) के समक्ष रखा गया।
मई में जस्टिस अभय एस. ओक (अब रिटायर) और जस्टिस ए.जी. मसीह की खंडपीठ ने कर्नाटक हाईकोर्ट के उस फैसले को खारिज कर दिया, जिसमें कहा गया था कि बेंगलुरु स्थित मंदिर, इस्कॉन सोसाइटी, मुंबई का है। परिणामस्वरूप, इस्कॉन सोसाइटी, बैंगलोर को बेंगलुरु मंदिर पर अधिकार मिल गया।
इस फैसले के खिलाफ मुंबई सोसाइटी ने पुनर्विचार याचिका दायर की। चूंकि जस्टिस ओक रिटायर हो चुके हैं, इसलिए पुनर्विचार याचिका जस्टिस जे.के. माहेश्वरी की अध्यक्षता वाली पीठ के समक्ष रखी गई। जस्टिस मसीह (जो मूल निर्णय में शामिल थे) समीक्षा पीठ के अन्य जज थे।
जस्टिस माहेश्वरी ने समीक्षा याचिकाओं को ओपन कोर्ट में सुनवाई के लिए सूचीबद्ध करने की अनुमति दी और प्रतिवादियों को नोटिस जारी किया, जबकि जस्टिस मसीह ने समीक्षा याचिकाओं को खारिज कर दिया। जस्टिस मसीह ने कहा कि निर्णय के अभिलेख में ऐसी कोई त्रुटि नहीं है, जिसके लिए समीक्षा की आवश्यकता हो।
Case : INTERNATIONAL SOCIETY FOR KRISHNA CONSCIOUSNESS, MUMBAI VERSUS INTERNATIONAL SOCIETY FOR KRISHNA CONSCIOUSNESS, BANGALORE & ORS. | Diary No. 37957 of 2025