पिछले साल के इसी तरह के आदेश पर सुप्रीम कोर्ट द्वारा रोक लगाए जाने के बावजूद प्रोविजनल कॉलेज एडमिशन की अनुमति दी गई: सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट के आदेश की आलोचना की
अंतरिम न्यायिक आदेशों के आधार पर कॉलेजों को एडमिशन प्रक्रिया में भाग लेने की अनुमति दिए जाने के मुद्दे पर विचार करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में मध्य प्रदेश हाईकोर्ट को पिछले साल सुप्रीम कोर्ट द्वारा रोक लगाए गए आदेश के समान आदेश पारित करने के लिए फटकार लगाई। कहा कि यह प्रथा "न्यायिक औचित्य" के अनुरूप नहीं है।
जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस केवी विश्वनाथन की खंडपीठ ने कहा कि कॉलेजों को अंतरिम आदेशों के जरिए एडमिशन प्रक्रिया में भाग लेने की अनुमति देने की हाईकोर्ट की प्रथा की निंदा करने वाले सुप्रीम कोर्ट द्वारा पारित कई आदेशों के बावजूद, एमपी हाईकोर्ट ने फिर से अंतरिम आदेश पारित कर प्रतिवादी नंबर 1-कॉलेज को एडमिशन प्रक्रिया में भाग लेने की अनुमति दी।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा,
"हम हाईकोर्ट द्वारा पारित विवादित आदेश से आश्चर्यचकित हैं। हमारा मानना है कि उक्त प्रथा न्यायिक औचित्य के अनुरूप नहीं है। जब इस न्यायालय द्वारा पिछले वर्ष के लिए अंतरिम आदेश पारित किया गया था तो हाईकोर्ट को इसे उचित महत्व देना चाहिए था।"
संक्षेप में मामला
नवंबर, 2023 में हाईकोर्ट ने प्रतिवादी-कॉलेज को 2023-2024 के लिए BAMS (बैचलर ऑफ आयुर्वेदिक मेडिसिन एंड सर्जरी) डिग्री कोर्स में साठ सीटों के लिए एडमिशन के लिए चल रही काउंसलिंग में अनंतिम रूप से भाग लेने की अनुमति देते हुए आदेश पारित किया। दूसरे आदेश द्वारा हाईकोर्ट ने काउंसलिंग की तिथि एक दिन के लिए बढ़ा दी।
दोनों आदेशों को राष्ट्रीय भारतीय मेडिकल प्रणाली आयोग (अपीलकर्ता नंबर 1) ने सुप्रीम कोर्ट के समक्ष चुनौती दी थी। यह देखते हुए कि विवादित आदेश रिट याचिका के विफल होने की स्थिति में छात्रों के लिए बहुत अधिक पूर्वाग्रह पैदा करने के लिए उत्तरदायी थे, सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट के आदेशों (शैक्षणिक वर्ष 2023-24 के लिए) पर रोक लगाई।
हालांकि, इस साल सितंबर में हाईकोर्ट ने फिर से शैक्षणिक वर्ष 2024-2025 के लिए सुप्रीम कोर्ट द्वारा रोके गए आदेश के समान ही आदेश पारित किया। इस आदेश को अपीलकर्ता नंबर 1 ने वर्तमान कार्यवाही में चुनौती दी थी।
सुनवाई के दौरान, प्रतिवादी-कॉलेज की ओर से दलील दी गई कि हाईकोर्ट द्वारा पारित अंतरिम आदेश के अनुसार शैक्षणिक वर्ष 2024-2025 के लिए किसी भी स्टूडेंट को एडमिशन नहीं दिया गया।
तदनुसार, सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट के आदेश रद्द कर दिया और मामले को नए सिरे से विचार के लिए वापस भेज दिया। इसने अपीलकर्ता को "शिक्षण वर्ष 2023-24 से संबंधित रिट याचिका और विशेष अनुमति याचिका के लंबित रहने के बारे में तथ्य हाईकोर्ट की खंडपीठ के संज्ञान में लाने" का निर्देश दिया।
केस टाइटल: राष्ट्रीय भारतीय मेडिकल प्रणाली आयोग बनाम वीणा वादिनी आयुर्वेद कॉलेज और अस्पताल, सी.ए. नंबर 010938 / 2024 (और संबंधित मामला)