सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम का प्रस्ताव-केंद्र को बाद में भेजे गए नामों को मंजूरी देने से पहले जॉन सत्यन की नियुक्ति को अधिसूचित करना चाहिए; नामों को रोकने पर चिंता व्यक्त की
सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम ने मंगलवार को पारित एक प्रस्ताव में पदोन्नति के लिए पूर्व में अनुशंसित हो चुके नामों को रोककर केवल चुनिंदा नामों को अनुमोदित करने के कारण केंद्र सरकार की तीखी आलोचना की है।
चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस संजय किशन कौल और जस्टिस केएम जोसेफ की कॉलेजियम ने दोहराए गए नामों की केंद्र द्वारा अनदेखी किए जाने के मुद्दे की चर्चा की और कहा कि यह "गंभीर चिंता का विषय" है।
प्रस्ताव में एडवोकेट जॉन सत्यन के मामले का विशेष रूप से उल्लेख किया गया है, केंद्र ने जिनके नाम को मद्रास हाईकोर्ट के जज के रूप में नियुक्ति के लिए मंजूरी नहीं दी है, जबकि कॉलेजियम ने 17 जनवरी को उनकी सिफारिश को दोहराया था।
कॉलेजियम ने विशेष रूप से कहा था कि सत्यन को पहली बार अनुशंसित किए गए अन्य नामों पर प्राथमिकता दी जानी चाहिए, जबकि केंद्र ने इसे नजरअंदाज कर दिया और जस्टिस एल विक्टोरिया गौरी की विवादास्पद नियुक्ति सहित बाद के प्रस्तावों की नियुक्तियों को अधिसूचित किया।
केंद्र ने सत्यन की नियुक्ति पर इस आधार पर आपत्ति जताई थी कि उन्होंने एक लेख शेयर किया था, जिसमें प्रधानमंत्री की आलोचना की गई थी। इस आपत्ति को कॉलेजियम ने खारिज कर दिया, और सत्यन को एक उपयुक्त उम्मीदवार पाया था।
दरअसल, 21 मार्च को हुई बैठक में कॉलेजियम ने मद्रास हाईकोर्ट में चार न्यायिक अधिकारियों की पदोन्नति का प्रस्ताव रखा था। उस प्रस्ताव में कॉलेजियम ने नामों पर रोक लगाने के लिए केंद्र के खिलाफ आलोचनात्मक टिप्पणी की थी।
प्रस्ताव में कहा गया है-
"कॉलेजियम का विचार है कि पूर्व में सिफारिश किए गए व्यक्तियों की पदोन्नति के लिए एक अधिसूचना जारी करने के लिए आवश्यक कार्रवाई जल्द से जल्द की जानी चाहिए, जिसमें श्री आर जॉन सत्यन का नाम भी शामिल है, जिसे इस कॉलेजियम ने 17 जनवरी 2023 को बार-बार दोहराया है।
दोहराए गए नामों सहित जिन नामों की पहले सिफारिश की गई है, उन्हें वापस नहीं लिया जाना चाहिए या उनकी अनदेखी नहीं की जानी चाहिए क्योंकि यह उनकी वरिष्ठता को डिस्टर्ब करता है...यह गंभीर चिंता का विषय है।"
कॉलेजियम ने (i) आर शक्तिवेल, (ii) पी धनबल, (iii) चिन्नासामी कुम्परप्पन और (iv) के राजशेखर को मद्रास हाईकोर्ट के जज के रूप में नियुक्त करने का प्रस्ताव पारित किया।