सुप्रीम कोर्ट ने शेख अली गुमटी के पास पार्क में बैडमिंटन/बास्केटबॉल कोर्ट के निर्माण और व्यावसायिक गतिविधियों पर लगाई रोक
सुप्रीम कोर्ट ने 31 जुलाई को लोधी काल के शेख अली 'गुमटी' के जीर्णोद्धार के लिए और आदेश पारित किए। यह पुरातात्विक महत्व का 500 साल पुराना मकबरा है। इस पर डिफेंस कॉलोनी वेलफेयर एसोसिएशन (DCWA), दिल्ली ने अवैध रूप से कब्जा कर रखा था। साथ ही यहां दिल्ली नगर निगम (MCD) एक अनधिकृत कार्यालय और पार्किंग संचालित करता था।
जस्टिस सुधांशु धूलिया और जस्टिस अहसानुद्दीन अमानुल्लाह की खंडपीठ ने निर्देश दिया कि गुमटी स्थित पार्क का उपयोग बैडमिंटन/बास्केटबॉल कोर्ट के निर्माण के लिए नहीं किया जाना चाहिए। इस क्षेत्र में कोई व्यावसायिक गतिविधि या कियोस्क/दुकानें नहीं होनी चाहिए। खंडपीठ ने कहा कि पार्क अपनी प्राकृतिक सुंदरता बनाए रखेगा।
MCD की वकील सीनियर एडवोकेट गरिमा प्रसाद ने यह भी आश्वासन दिया कि पार्क में पड़े कचरे को साफ किया जाएगा।
खंडपीठ ने कहा,
"हमें यह भी आश्वासन दिया गया कि सभी संबंधित पक्षकारों, विशेष रूप से समिति के सदस्यों, विशेषज्ञों और याचिकाकर्ता सहित न्यायालय आयुक्त की राय लेने के बाद चार खंडों वाले इस पार्क का मौजूदा स्थिति में ही रखरखाव और सौंदर्यीकरण किया जाएगा ताकि इसकी प्राकृतिक सुंदरता बनी रहे और इसका उपयोग आम जनता के लाभ के लिए किया जा सके।
यहां केवल यह निर्देश दिया जाना आवश्यक है कि इसका उपयोग किसी अन्य उद्देश्य के लिए न किया जाए। क्षेत्र की सीमाओं को देखते हुए बैडमिंटन कोर्ट, बास्केटबॉल कोर्ट आदि का निर्माण जैसी कोई गतिविधि न की जाए। कहने की आवश्यकता नहीं है कि इस क्षेत्र में कोई व्यावसायिक गतिविधि नहीं होगी, न ही किसी कियोस्क/दुकान की अनुमति होगी।"
न्यायालय ने दिल्ली सरकार की ओर से एडवोकेट शुभ्रांशु पाधी द्वारा दिए गए इस कथन को भी स्वीकार किया कि स्मारक का जीर्णोद्धार कार्य वर्तमान में चल रहा है। इस वर्ष अगस्त के अंत तक पूरा हो जाएगा।
इसके अलावा, 'दिल्ली प्राचीन एवं ऐतिहासिक स्मारक तथा पुरातात्विक स्थल एवं अवशेष अधिनियम, 2004' के अंतर्गत अधिसूचना का प्रकाशन शेष है।
21 जनवरी से अब तक न्यायालय द्वारा कई आदेश पारित किए जा चुके हैं, जिनमें DCWA को गोमती नदी का कब्ज़ा भूमि एवं विकास कार्यालय, शहरी कार्य मंत्रालय, भारत सरकार (एल एंड डीओ) को सौंपने और MCD को खंडपीठ द्वारा नियुक्त न्यायालय आयुक्त सीनियर एडवोकेट गोपाल शंकरनारायण की उपस्थिति में अवैध रूप से कब्ज़े वाले कार्यालय और पार्किंग को खाली कराने का आदेश दिया गया। न्यायालय ने DCWA पर 40 लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया, जिसका उपयोग स्मारक के जीर्णोद्धार के लिए किया जा रहा है।
14 मई के एक आदेश द्वारा खंडपीठ को सूचित किया गया कि DCWA ने गोमती नदी का शांतिपूर्ण कब्ज़ा एल एंड डीओ को सौंप दिया, जबकि MCD ने अवैध रूप से कब्ज़े वाले परिसर को सौंप दिया, जहां चारों ओर कूड़ा-कचरा फैला हुआ है, दीवारें आधी टूटी हुई हैं और बिजली नहीं है। 23 जुलाई को MCD को आदेश दिया गया कि वह उस स्थान पर पड़ा सारा सामान हटा दे और सभी आवश्यक रिपोर्ट दाखिल करे।
इसके बाद न्यायालय ने 30 जुलाई को MCD को गुमटी स्थित पार्क को उसके मूल स्वरूप में बनाए रखने का आदेश दिया। शुरुआत में शंकरनारायण ने खंडपीठ को सूचित किया कि गुमटी के जीर्णोद्धार की योजना को अंतिम रूप देने के लिए कदम उठाए जा रहे हैं। इस पर जस्टिस अमानुल्लाह ने जवाब दिया कि इसे "शीघ्रता से" पूरा करने की आवश्यकता है ताकि न्यायालय भी देख सके कि आगे क्या होने वाला है।
यह आदेश डिफेंस कॉलोनी निवासी राजीव सूरी द्वारा दायर याचिका पर पारित किया गया, जिसमें प्राचीन स्मारक और पुरातात्विक स्थल एवं अवशेष अधिनियम, 1958 (AMASR Act) के तहत गुमटी के संरक्षण की मांग की गई।
अगस्त, 2024 में न्यायालय ने केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (CBI) को इस बात की प्रारंभिक जांच शुरू करने का निर्देश दिया कि भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) और केंद्र सरकार ने इसे संरक्षित करने से इनकार क्यों किया। इसके बाद रिपोर्ट प्रस्तुत की गई, जिसमें पता चला कि DCWA ने न केवल इस पर अवैध रूप से कब्जा किया, बल्कि इसमें अनधिकृत परिवर्तन भी किए।
पिछले साल 14 नवंबर को जस्टिस सुधांशु धूलिया और जस्टिस अहसानुद्दीन अमानुल्लाह की खंडपीठ ने एक विशेषज्ञ, सुश्री स्वप्ना लिडल, जो (INTACH) (भारतीय राष्ट्रीय कला एवं सांस्कृतिक विरासत न्यास का दिल्ली चैप्टर) की पूर्व संयोजक और दिल्ली के इतिहास पर कई पुस्तकों की लेखिका हैं, उसको इमारत का सर्वेक्षण और निरीक्षण करने, हुए नुकसान का पता लगाने, इमारत की किस हद तक और किस तरह से मरम्मत की जा सकती है, यह जानने के लिए नियुक्त किया था।
CBI की जांच में खुलासा हुआ कि DCWA लगभग पिछले साठ वर्षों से गुमटी को अपने कार्यालय के रूप में इस्तेमाल कर रहा है। इसमें संरचना में किए गए विभिन्न परिवर्तनों का उल्लेख किया गया, जैसे कि खुले स्थानों का रूपांतरण, बिजली और पानी के मीटर लगाना, MTNL केबल, लकड़ी के कैबिनेट, झूठी छत, शौचालय और पार्किंग शेड का निर्माण आदि।
खंडपीठ ने यह भी सुझाव दिया कि गुमटी को संरक्षित स्मारक घोषित किया जा सकता है।
Case Details: RAJEEV SURI v ARCHAEOLOGICAL SURVEY OF INDIA AND ORS.|SLP(C) No. 12213/2019