सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र को वोडाफोन से AGR बकाया की मांग पर पुनर्विचार करने की अनुमति दी

Update: 2025-10-27 07:45 GMT

सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को वोडाफोन आइडिया के 2016-17 की अवधि के ₹5,606 मूल्य के लंबित AGR बकाया पर पुनर्विचार करने और उसका समाधान करने की अनुमति दी।

चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया (सीजेआई) बीआर गवई और जस्टिस के विनोद चंद्रन की खंडपीठ वोडाफोन इंडिया द्वारा दायर रिट याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें दूरसंचार विभाग द्वारा 2016-17 की अवधि के AGR बकाया के लिए अतिरिक्त मांग को चुनौती दी गई।

वोडाफोन के अनुसार, अतिरिक्त मांग अव्यावहारिक है, क्योंकि सुप्रीम कोर्ट के 2019 के फैसले में देनदारियों का निर्धारण पहले ही हो चुका था।

केंद्र सरकार की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने खंडपीठ को सूचित किया कि चूंकि केंद्र सरकार ने कंपनी में 49% इक्विटी निवेश की है और वोडाफोन आइडिया की सेवाओं का उपयोग करने वाले 20 करोड़ ग्राहक हैं, इसलिए केंद्र सरकार वोडाफोन द्वारा उठाए गए पुनर्मूल्यांकन के मुद्दों पर पुनर्विचार करने के लिए सहमत हो गई।

सीनियर एडवोकेट मुकुल रोहतगी वोडाफोन इंडिया की ओर से पेश हुए।

खंडपीठ ने उपरोक्त पर विचार करते हुए अपने आदेश में निम्नलिखित बातें दर्ज कीं:

"एसजी ने निर्देश दिया है कि परिस्थितियों में बदलाव, यानी भारत सरकार द्वारा 49% इक्विटी अधिग्रहण, और व्यापक पहलू यह है कि 20 करोड़ ग्राहक याचिकाकर्ता की सेवाओं का उपयोग कर रहे हैं, उसको ध्यान में रखते हुए केंद्र याचिकाकर्ता द्वारा उठाए गए मुद्दों की जाँच करने को तैयार है। यह भी प्रस्तुत किया गया कि यदि न्यायालय अनुमति दे तो सरकार इस पर पुनर्विचार करने और उचित निर्णय लेने के लिए सहमत हो गई।"

न्यायालय ने आगे कहा,

"मामले की वर्तमान स्थिति को ध्यान में रखते हुए सरकार ने कंपनी में पर्याप्त इक्विटी निवेश की है। यह भी कि इस मुद्दे का 20 करोड़ ग्राहकों के हितों पर सीधा प्रभाव पड़ने की संभावना है, हमें केंद्र द्वारा इस मुद्दे पर पुनर्विचार करने और उचित निर्णय लेने में कोई समस्या नहीं दिखती।"

न्यायालय ने आगे स्पष्ट किया कि यह आदेश मामले के विशिष्ट तथ्यों के आलोक में पारित किया गया और यह विषयवस्तु केंद्र की नीतिगत निर्णय श्रेणी में पहले से मौजूद है।

खंडपीठ ने कहा,

"हम स्पष्ट करते हैं कि यह मामला संघ के नीतिगत अधिकार क्षेत्र में आता है। यदि संघ, विशिष्ट तथ्यों और परिस्थितियों को देखते हुए व्यापक हित में इस मुद्दे पर सहमति जताता है तो ऐसा कोई कारण नहीं है कि उसे ऐसा करने से रोका जाए। इस दृष्टिकोण से हम रिट याचिका का निपटारा करते हैं। हम स्पष्ट करते हैं कि यह आदेश केवल मामले के विशिष्ट तथ्यों और परिस्थितियों के आधार पर पारित किया गया है।

Case Details : VODAFONE IDEA LTD. AND ANR. Versus UNION OF INDIA| W.P.(C) No. 882/2025

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