सुप्रीम कोर्ट ने लोकोमोटर दिव्यांगता वाले उम्मीदवार को राजस्थान सिविल जज के इंटरव्यू में शामिल होने की अनुमति दी

Update: 2024-10-25 13:27 GMT

सुप्रीम कोर्ट ने लोकोमोटर दिव्यांगता वाले उम्मीदवार को राजस्थान सिविल जज के इंटरव्यू में शामिल होने की अनुमति दी।

जस्टिस जेबी पारदीवाला और जस्टिस मनोज मिश्रा की खंडपीठ याचिकाकर्ता की याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जो 60% तक लोकोमोटर दिव्यांगता से पीड़ित है, लेकिन उसने 111.5 अंकों के साथ प्रारंभिक और मुख्य परीक्षा उत्तीर्ण की है।

याचिकाकर्ता के लिए उपस्थित सीनियर एडवोकेट शादान फरासत ने कहा कि याचिकाकर्ता को इंटरव्यू के लिए नहीं बुलाया गया, क्योंकि वह ओबीसी श्रेणी के तहत कट-ऑफ को पार नहीं कर सका, जिसके तहत वह दिव्यांगता श्रेणी से अलग हो जाता।

चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया (सीजेआई) डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस जेबी पारदीवाला और जस्टिस मनोज मिश्रा की पीठ द्वारा पारित हालिया आदेश को ध्यान में रखते हुए, जिसमें दृष्टिहीन उम्मीदवार को उसी परीक्षा में इंटरव्यू के लिए उपस्थित होने की अनुमति दी गई।

उक्त फैसले में न्यायालय ने निम्नलिखित निर्देश दिए:

“ऐसी परिस्थितियों में चूंकि इंटरव्यू शनिवार को समाप्त हो जाएंगे। इसलिए हम निर्देश देते हैं कि याचिकाकर्ता ईशान को इंटरव्यू के लिए बुलाया जाए।”

उक्त आदेश के लिखे जाने के बाद राजस्थान हाईकोर्ट की ओर से पेश हुए एडवोकेट मुकुल कुमार ने न्यायालय से यह स्पष्ट करने का अनुरोध किया कि वर्तमान निर्देश का उपयोग अन्य मामलों में समानता के आधार के रूप में नहीं किया जाना चाहिए।

इस पर जस्टिस पारदीवाला ने वकील से ऐसे मामलों में अधिक विचारशील होने के लिए कहा।

“आपके पास वह सहानुभूति होनी चाहिए, आपके पास वह दिल होना चाहिए!”

मामले में याचिकाकर्ता दृष्टिहीनता से पीड़ित था और मुख्य परीक्षा में बैठने के लिए प्रारंभिक परीक्षा उत्तीर्ण कर चुका था। मुख्य परीक्षा में याचिकाकर्ता ने 113.5 अंक प्राप्त किए, लेकिन उसे इंटरव्यू के लिए नहीं बुलाया गया, क्योंकि वह आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग (ईडब्ल्यूएस) श्रेणी के कट-ऑफ को पूरा करने में विफल रहा, जिससे वह संबंधित था।

वर्तमान मामले में नोटिस जारी करते हुए न्यायालय ने 4 नवंबर को अगली सुनवाई से पहले जवाबी हलफनामा दायर करने को भी कहा।

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