मामलों की पर्याप्त तैयारी के बिना कोर्ट में न आएं, सुप्रीम कोर्ट ने युवा वकीलों को दी सलाह
सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने मामलों की पर्याप्त तैयारी के बिना कोर्ट में आने वाले युवा वकीलों को गंभीरता से लिया।
जस्टिस दिनेश माहेश्वरी और जस्टिस हृषिकेश रॉय की खंडपीठ ने सलाह दी,
"हम बार के युवा सदस्यों पर ध्यान दे रहे हैं। वे तैयार होकर आने के अलावा बाकी सब कुछ कर रहे हैं। युवा वकील मामलों की पर्याप्त तैयारी के बिना कोर्ट में न आएं। आपको पूरी तरह से तैयार रहना चाहिए, चाहे आपका सीनियर तैयार हो या नहीं।"
बेंच को ये टिप्पणियां तब की जब देखा कि एक वकील एक मामले के लिए तैयार नहीं था। उन्होंने इस मामले को पासओवर करने की मांग की थी।
खंडपीठ ने कहा,
“कृपया बहस करें। हमें बताएं कि मामला क्या है।"
जूनियर एडवोकेट ने कहा,
"मैं ऐसा करने में सक्षम नहीं हूं।"
बेंच ने पूछा,
"क्यों? आपके सीनियर आपको फाइलें पढ़ने की अनुमति नहीं देते हैं?"
आखिरकार वकील की मदद के लिए एक और वकील आगे आया।
बेंच ने कहा,
"अच्छा, उसकी मदद करो।"
युवा वकील ने अदालत को बताया कि अपील याचिका बलात्कार और आपराधिक धमकी से संबंधित एक मामले में अपीलकर्ता को नजरबंदी से रिहा करने की मांग कर रही थी। (भारतीय दंड संहिता की धारा 376बी, 506)
अदालत ने अपील की अनुमति दी और यह देखते हुए उसे जमानत दे दी कि अभियोजन पक्ष मुकदमे के दोनों दौरों में असंगत था।
इसके साथ ही खंडपीठ ने जूनियर वकील को भविष्य में मामलों की पैरवी करते समय अधिक समय एक साथ रहने को कहा।
कोर्ट ने कहा,
"भले ही आपने मामले पर बहस नहीं की है, हमने एक आदेश दिया है। लेकिन आपने तर्क नहीं दिया है। इसलिए यह कर्ज अब आपके ऊपर है। किसी और दिन जब आप कोर्ट आएंगे, तो आप आज की सुनवाई की भरपाई करेंगे। यह सौदा याद रखें। लेकिन अगली बार कृपया कोर्ट में तैयारी के साथ आएं। आप इस तरह बिना तैयारी के कोर्ट में न आएं!"