केरल श्री पद्मनाभ स्वामी मंदिर मामला : सुप्रीम कोर्ट ने त्रावणकोर के पूर्ववर्ती शाही परिवार के अधिकारों को बरकरार रखा
सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को तिरुवनंतपुरम में श्री पद्मनाभ स्वामी मंदिर के प्रशासन में त्रावणकोर के पूर्ववर्ती शाही परिवार के अधिकारों को बरकरार रखा।
त्रावणकोर परिवार के सदस्यों द्वारा दायर अपील पर शीर्ष अदालत ने केरल उच्च न्यायालय के इस फैसले को पलट दिया कि 1991 में त्रावणकोर के अंतिम शासक की मृत्यु के साथ परिवार के अधिकारों का अस्तित्व समाप्त हो गया था। अंतिम शासक की मृत्यु सरकार के पक्ष में राजकीय संपत्ति के अधिकार के तौर पर नहीं होगा।
मृत्यु से परिवार पर देवता के शबैत ( प्रबंधन) अधिकार का कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा और वे प्रथा के अनुसार जीवित रहेंगे, अदालत ने फैसला सुनाया।
पीठ ने एक नई समिति के गठन तक मंदिर के मामलों का प्रबंधन करने के लिए जिला न्यायाधीश, तिरुवनंतपुरम की अध्यक्षता वाली एक अंतरिम समिति के गठन को मंजूरी दी।
न्यायमूर्ति यू यू ललित की अगुवाई वाली पीठ ने 2011 के केरल उच्च न्यायालय के फैसले को चुनौती देने वाली अपीलों में फैसला सुनाया, जिसने सरकार को श्री पद्मनाभस्वामी मंदिर का नियंत्रण संभालने का निर्देश दिया,जिसमें संपत्ति और प्रबंधन शामिल है। जस्टिस सी एन रामचंद्रन नायर और जस्टिस के सुरेन्द्र मोहन ने सरकार को निर्देश दिया था कि वे सभी काल्सरा ( तिजोरी) खोलें, पूरे सामान की सूची बनाएं और एक संग्रहालय बनाएंऔर जनता, भक्तों और पर्यटकों के लिए मंदिर के सभी खजानों का प्रदर्शन करें जिसकी मंदिर परिसर में ही भुगतान के आधार पर व्यवस्था की जा सकती थी।
"हमारे विचार में, कई सदियों के दौरान मंदिर के खजाने को एक रहस्य के रूप में रखने का कोई उद्देश्य नहीं है, " हाईकोर्ट ने देखा था।
न्यायमूर्ति उदय उमेश ललित और न्यायमूर्ति इंदु मल्होत्रा की पीठ ने पिछले साल अप्रैल में अपील पर सुनवाई की थी।
पृष्ठभूमि
1949 में त्रावणकोर और कोचीन की रियासत और भारत सरकार के बीच इंस्ट्रूमेंट ऑफ एक्सेसन (अधिमिलन पत्र) यानी किसी रियासत के देश में शामिल होने के लिखित पत्र के अनुसार ये अधिकार "त्रावणकोर के शासक" के साथ निहित था।
बाद में TC अधिनियम की धारा 18 (2) के संचालन से, मंदिर का प्रबंधन त्रावणकोर के अंतिम शासक के ट्रस्ट में निहित रहा। त्रावणकोर के अंतिम शासक, 20.7.1991 ने अपनी मृत्यु तक TC अधिनियम की धारा 18 (2) के तहत उन्हें दी गई शक्तियों के आधार पर श्री पद्मनाभस्वामी मंदिर का प्रबंधन जारी रखा।
प्रबंधन पर विवाद शुरू हुआ
अंतिम शासक की मृत्यु के बाद भी, राज्य ने पद्मनाभ स्वामी मंदिर के प्रबंधन की अनुमति दी और अंतिम शासक की मृत्यु के बाद उनके भाई, उत्रेदम थिरुनल मार्तण्ड वर्मा द्वारा इसे संभाल लिया गया।
मार्तण्ड वर्मा द्वारा पद्मनाभ स्वामी मंदिर के खजाने के बारे में दावा किए जाने के बाद कि त्रावणकोर के पूर्ववर्ती शाही परिवार की पारिवारिक संपत्ति हैं, कई भक्तों ने त्रिवेंद्रम में दीवानी न्यायालयों का दरवाजा खटखटाने के लिए मुकदमा दायर किया।
हाईकोर्ट के सामने कार्यवाही
उत्रेदम थिरुनल मार्तण्ड वर्मा और कुछ अन्य लोगों ने इस मामले में उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया। अदालत ने मामलों को एक साथ जोड़ दिया और इस मुद्दे पर विचार किया कि क्या त्रावणकोर के आखिरी शासक का छोटा भाई 20.7.1991 को अंतिम शासक की मृत्यु के बाद "त्रावणकोर का शासक" होने का दावा कर सकता है, जो त्रावणकोर-कोचीन हिंदू धार्मिक संस्था अधिनियम, 1950 की धारा 18(2) के तहत केरल के प्राचीन और महान मंदिर अर्थात्, त्रिवेंद्रम स्थित श्री पद्मनाभ स्वामी मंदिर के स्वामित्व, नियंत्रण और प्रबंधन का दावा करने कर सकता है।
"शासक" एक ऐसी स्थिति नहीं है जिसे उत्तराधिकार के माध्यम से हासिल किया जा सकता है।
इस विषय में उत्रेदम थिरुनल मार्तण्ड वर्मा के खिलाफ फैसला देते हुए अदालत ने कहा कि "शासक" एक स्थिति नहीं है जिसे उत्तराधिकार के माध्यम से हासिल किया जा सकता है और इसलिए, 20.7.1991 को अंतिम शासक की मृत्यु के बाद, तत्कालीन त्रावणकोर राज्य कोई शासक नहीं है।इसने आगे कहा कि उत्रेदम थिरुनल मार्तण्ड वर्मा, TC अधिनियम की धारा 18 (2) के तहत प्रदत्त शक्तियों पर भरोसा करके, श्री पद्मनाभस्वामी मंदिर के प्रबंधन का दावा करने के लिए अंतिम शासक के जूते में पैर नहीं रख सकते।
सुप्रीम कोर्ट की कार्यवाही: टाइमलाइन
02/05/2011: उत्रेदम थिरुनल मार्तण्ड वर्मा द्वारा दायर एसएलपी पहली बार जस्टिस आरवी रवींद्रन और जस्टिस एके पटनायक की पीठ के समक्ष पेश हुई जिसने उच्च न्यायालय के निर्देशों पर अंतरिम रोक लगाई। अदालत ने कल्लरा के
सामान / क़ीमती सामान / आभूषणों की एक विस्तृत सूची आयोजित करने का भी निर्देश दिया और पर्यवेक्षकों की एक टीम भी नियुक्त की।
08/07/2011: अदालत ने आदेश दिया कि कल्लरा 'ए' और 'बी' को खोलने पर अगले आदेशों तक रोककर रहेगी
21/07/2011: इस मामले में राज्य की प्रतिक्रिया पर विचार करने के बाद, बेंच ने सामान, संरक्षण और सुरक्षा के बारे में सलाह देने के लिए निम्नलिखित विशेषज्ञ समिति का गठन करने का निर्देश दिया। समिति को यह भी निर्देशित किया गया था कि वह कल्लारा 'बी' खोलने के लिए आवश्यक है या नहीं।
22/09/2011: न्यायालय ने विशेषज्ञ समिति की अंतरिम रिपोर्ट की जांच की और आगे के निर्देश जारी किए। अदालत ने यह भी कहा कि कल्लरा 'बी' खोलने से संबंधित मुद्दे को अन्य कल्लरा में सामग्री से संबंधित सेवा, रखरखाव और भंडारण,
प्रलेखन, वर्गीकरण, सुरक्षा, संरक्षण, चुनाव के संबंध में पर्याप्त प्रगति के बाद देखा माना जाएगा।
23/08/2012: न्यायालय ने मामले में एमिकस क्यूरी के रूप में कार्य करने के लिए वरिष्ठ वकील गोपाल सुब्रमण्यम को नियुक्त किया।
6/12/2013: उत्रेदम थिरुनल मार्तण्ड वर्मा का निधन।
15.04.2014: एमिकस क्यूरी ने अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत की।
24/04/2014: कोर्ट ने मंदिर का प्रबंधन करने के लिए जिला न्यायाधीश, तिरुवनंतपुरम की अध्यक्षता में प्रशासनिक समिति की नियुक्ति की।
अगस्त-सितंबर 2014- वरिष्ठ वकील गोपाल सुब्रमण्यम ने सुप्रीम कोर्ट को एक पत्र लिखा जिसमें उन्होंने कहा था कि वो पद्मनाभ स्वामी मंदिर मामले में एमिकस क्यूरी के रूप में इस्तीफा दे रहे हैं। बाद में, उन्होंने अपना इस्तीफा वापस लेते हुए कहा कि वह श्री पद्मनाभस्वामी मंदिर मामले में एमिकस क्यूरी के रूप में जारी रहेंगे।
नवंबर 2014: शाही परिवार ने एमिकस क्यूरी गोपाल सुब्रमण्यम की रिपोर्ट पर सवाल उठाया, सुप्रीम कोर्ट के समक्ष आपत्ति दर्ज की।
27/11/2014: कोर्ट ने एमिकस क्यूरी द्वारा की गई कुछ सिफारिशों को स्वीकार कर लिया।
4/7/2017: न्यायालय ने न्यायमूर्ति के एस पी राधाकृष्णन को श्रीकोविल और अन्य संबद्ध कार्यों के लिए चयन समिति के अध्यक्ष के रूप में नियुक्त किया।
जनवरी-अप्रैल 2019: अंतिम सुनवाई के लिए जस्टिस यूयू ललित और जस्टिस इंदु मल्होत्रा की पीठ के समक्ष मामले सूचीबद्ध किए गए।
10/04/2019: पीठ ने सुनवाई समाप्त की और मामलों को फैसले के लिए सुरक्षित रखा।