सुप्रीम कोर्ट 18वीं सदी के सिसोदिया रानी का बाग़ के सौंदर्यीकरण की निगरानी खुद करेगा, एनजीटी के प्रतिबंध हटाए
सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को 18वीं सदी के 'सिसोदिया रानी का बाग़' में किसी भी तरह के समारोह के आयोजन पर लगे एनजीटी के प्रतिबंध को समाप्त कर दिया। यह ऐतिहासिक बाग़ राजस्थान में जयपुर के पास है।
जयपुर के पुरातत्व और संग्रहालय विभाग के निदेशक की याचिका पर न्यायमूर्ति अरुण मिश्रा और न्यायमूर्ति एस रविंद्र भट ने यह निर्णय दिया और कहा कि इस बाग़ को सभी समारोहों के लिए सुबह 8 बजे से शाम 8 बजे तक प्रयोग किया जा सकता है।
आदेश में कहा गया कि आठ बजे के बाद यहां पर कोई समारोह नहीं हो सकता। हालांकि, अदालत ने यहां लेजर लाइट्स, जोर का संगीत और किसी भी तरह की आतिशबाजी पर एनजीटी के द्वारा लगाए गए प्रतिबंधों को क़ायम रखा।
अदालत ने कहा कि वह इस जगह को सुंदर बनाने और इसे विकसित करने के कार्य की निगरानी करेगी।
"सिसोदिया रानी की बाग़" का निर्माण 1728 में महाराजा सवाई जय सिंह ने अपनी रानी को उपहार देने के लिए किया था। यह बाग़ मुग़ल और भारतीय शैली का अद्भुत नमूना है। इसमें एक बहुत ही सुंदर फ़व्वारा लगा है, पानी के बहने के लिए चैनल और कई अलंकृत पैविलियन हैं। इसमें कई भित्ति चित्र और पेंटिंग हैं जो राधा और कृष्ण के बारे में हैं। इसे प्रेम का प्रतीक माना जाता है और इसका प्रयोग राजा और शाही महिलाएं गर्मी के समय में करती थीं।
आशीष गौतम नामक एक व्यक्ति ने राजस्थान हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर कर इस जगह के नज़दीक वन्य जीवों और जंगलों को बचाने के लिए दिशानिर्देश की मांग की थी। बाद में इस याचिका को एनजीटी को भेज दिया गया, जिसने 2014 में इस पर प्रतिबंध लगा दिया। शीर्ष अदालत ने कहा कि इस पर पूर्ण प्रतिबंध उचित नहीं है।
पीठ ने कहा,
" पर्यटकों का समय सुबह 8 बजे से शाम 8 बजे तक है। इस अवधि के दौरान, इस ऐतिहासिक स्थल की महत्ता को देखते हुए और यह कि यह दीवालों से चारों ओर से घिरा है, उचित तरह के बहुउद्देश्यीय गतिविधियों के लिए प्रयोग पर आपत्ति नहीं होनी चाहिए। लेकिन इसके साथ ही, इस जगह पर ध्वनि प्रदूषण को लेकर जो प्रतिबंध है, वह लागू रहेगा। इसके अलावा सरकार ने इस क्षेत्र में और की प्रतिबंध लगा रखे हैं। इनके अतिरिक्त यह भी सुनिश्चित किया जाना है कि इस क्षेत्र में इस स्मारक के आसपास ध्वनि और वायु प्रदूषण रोकने के लिए कोई आतिशबाजी न हो।
लेजर लाइट के प्रयोग पर प्रतिबंध की ज़रूरत है। सजावटी और बेश क़ीमती पौधों और फूलों से बाग़ को सुंदर बनाने की ज़रूरत है। इसके संगीतमय और अन्य फ़व्वारों के रख-रखाव की ज़रूरत है। हालांकि, अधिकरण ने जो पूर्ण प्रतिबंध लगाया है उसकी कोई ज़रूरत नहीं है क्योंकि इस जगह का प्रयोग उचित तरह के समारोहों और पर्यटकों को आकर्षित करने के लिए हो सकता है। इस स्मारक की स्थिति को देखते हुए इस क्षेत्र में किसी भी तरह की असुविधा नहीं होनी चाहिए।"
अदालत ने कहा कि इसका रख-रखाव सुपरवाइज़र और अन्य स्टाफ़ एवं मालियों को करना चाहिए। कोर्ट ने इसके सौंदर्यीकरण के लिए एक कंसलटेंट की नियुक्ति का भी निर्देश दिया और कहा कि इस बारे में अलग से एक परियोजना प्लान बनाकर अदालत में पेश किया जाए।
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