वैवाहिक मामलों में भरण पोषण के भुगतान पर सुप्रीम कोर्ट करेगा दिशा निर्देश निर्धारित

Update: 2019-09-18 04:42 GMT

सुप्रीम कोर्ट वैवाहिक मामलों में भरणपोषण के भुगतान पर दिशानिर्देश निर्धारित करेगी। बॉम्बे हाईकोर्ट के एक फैसले के खिलाफ अपील पर सुनवाई करते हुए न्यायमूर्ति इंदु मल्होत्रा और न्यायमूर्ति आर सुभाष रेड्डी की पीठ ने इस संबंध में सहायता के लिए वरिष्ठ अधिवक्ता गोपाल शंकरनारायणन और अनीता शेनॉय को एमिकस क्यूरी के रूप में नियुक्त किया।

बेंच ने कहा, "हम श्री गोपाल शंकरनारायणन, वरिष्ठ अधिवक्ता और सुश्री अनीता शेनॉय, वरिष्ठ अधिवक्ता को वैवाहिक मामलों में भरण पोषण के भुगतान पर दिशानिर्देश तैयार करने के लिए कोर्ट की सहायता के लिए एमिकस क्यूरी के रूप में नियुक्त करते हैं।"

बॉम्बे हाईकोर्ट ने अपने आदेश में परिवार न्यायालय के आदेश को बरकरार रखा था, जिसमें पति को 01/09/2013 से पत्नी को 15,000 रुपये प्रति माह के अंतरिम रखरखाव का भुगतान करने का निर्देश दिया गया था। साथ ही बच्चे के भरण पोषण के रूप में 01/09/2013 से 31/08/2015 तक प्रति माह 5000 रूपये देने का आदेश दिया था। इसके बाद 01/09/2015 से अगले आदेश तक बच्चे को प्रति माह 10,000 रुपए देने का आदेश दिया।

हाईकोर्ट ने पाया था कि, पारिवारिक न्यायालय के समक्ष कार्यवाही के दौरान पत्नी भी पति के समान जीवन शैली की हकदार है। इस निष्कर्ष पर पहुंचने के लिए कि पति एक शानदार जीवन शैली में जी रहा है, बेंच ने उसकी फेसबुक पोस्ट पर ध्यान दिया, जिसमें उसने दुनिया के विभिन्न हिस्सों में महंगे कैमरा और लेंस उपकरणों का उपयोग करते हुए वन्यजीवों की तस्वीरें खींची थीं।

पीठ ने अपील पर सुनवाई करते हुए पति को दो सप्ताह के भीतर उसकी पत्नी को भरण-पोषण की बकाया राशि का भुगतान करने का निर्देश दिया। इस मामले में अब आगे की सुनवाई 14 अक्टूबर 2019 को होगी। 



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