शाहीन बाग : धरने के खिलाफ दाखिल याचिकाओं पर SC ने कहा, चुनाव के बाद 10 फरवरी को करेंगे सुनवाई

सार्वजनिक स्थानों पर धरने को लेकर दिशा- निर्देशों पर जल्द सुनवाई का आग्रह : CJI ने कहा रजिस्ट्रार के पास जाएं

Update: 2020-02-07 06:23 GMT

दिल्ली के शाहीन बाद में सीएए-एनपीआर-एनआरसी के खिलाफ 15 दिसंबर से चल रहे धरना- प्रदर्शन के खिलाफ दाखिल याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई दस फरवरी के लिए टाल दी है।

जस्टिस संजय किशन कौल और जस्टिस के एम जोसेफ की पीठ ने शुक्रवार को सुनवाई के दौरान कहा कि वो समझते हैं कि समस्या है। पीठ मामले को दिल्ली हाईकोर्ट वापस भी भेज सकती है लेकिन देखेंगे कि क्या किया जा सकता है। पीठ ने कहा कि सोमवार को सुनवाई करेंगे।

इस पर याचिकाकर्ताओं की ओर से कहा गया कि धरने को 55 दिन बीत चुके हैं। सोमवार तक दिल्ली में चुनाव भी खत्म हो जाएगा। इस पर पीठ ने कहा कि इसलिए तो कह रहे हैं कि चुनाव के बाद सुनवाई करेंगे।

गौरतलब है कि वकील एवं सामाजिक कार्यकर्ता अमित साहनी ने सुप्रीम कोर्ट में दिल्ली हाईकोर्ट के उस फैसले को चुनौती दी है जिसमें केंद्र सरकार और दिल्ली पुलिस को कोई दिशा- निर्देश जारी करने से इनकार कर दिया था। 14 जनवरी को दिल्ली हाईकोर्ट में मुख्य न्यायाधीश डी एन पटेल और जस्टिस सी हरिशंकर की पीठ ने सरकार और पुलिस को हालात को देखते हुए कानून के मुताबिक कार्रवाई करने को कहा था।

सुप्रीम कोर्ट में एक अन्य याचिका दाखिल कर इस मामले में व्यापक दिशा-निर्देश जारी करने का अनुरोध किया गया है ।

याचिकाकर्ता बीजेपी नेता नंदकिशोर गर्ग ने कहा है कि इसमें कोई शक नहीं है कि शाहीन बाग का विरोध संविधान के पैरामीटर के भीतर है और इसे गैरकानूनी नहीं कहा जा सकता।

हालांकि, पूरे विरोध ने उस समय अपनी वैधता को खो दिया, जब दूसरों को संविधान से मिले संरक्षण को धता बताते हुए सार्वजनिक स्थान पर उनका रास्ता रोका गया जिससे लोगों को जबरदस्त कठिनाइयों का सामना करना पड़ा।

उन्होंने प्रदर्शनकारियों को हटाने के लिए एक दिशा-निर्देश भी मांगा है जिसमें आरोप लगाया गया है कि राज्य कानून प्रवर्तन मशीनरी को प्रदर्शनकारियों की सनक और जिद के लिए बंधक बनाया जा रहा है।

उन्होंने कहा कि अत्यंत व्यस्त सार्वजनिक स्थानों जैसे दिल्ली से नोएडा को जोड़ने वाले सड़क मार्ग पर इस तरह के विरोध को प्रतिबंधित करने के लिए दिशानिर्देशों की तत्काल आवश्यकता है क्योंकि इसका हजारों लोगों द्वारा अपनी आजीविका के लिए और अस्पताल और स्कूल जाने के लिए इस्तेमाल किया जाता है।

दरअसल कालिंदी कुंज - शाहीन बाग मार्ग, ओखला अंडरपास के साथ, 15 दिसंबर 2019 को नागरिकता संशोधन अधिनियम के विरोध में स्थानीय लोगों द्वारा शुरु किए गए धरने के चलते बंद कर दिया गया था। यह रास्ता नोएडा, फरीदाबाद और हरियाणा जाने वाले मार्गों को जोड़ता है। 

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