आरटीआई : सुप्रीम कोर्ट ने सूचना आयोगों में रिक्तियों से संबंधित मामले को जनवरी 2022 तक स्थगित किया

Update: 2021-11-16 10:51 GMT

सुप्रीम कोर्ट ने आरटीआई कार्यकर्ता अंजलि भारद्वाज की याचिका पर सुनवाई के जनवरी, 2022 के दूसरे सप्ताह तक के ‌लिए स्‍थगित कर दी। भारद्वाज ने अपनी याचिका में सुप्रीम कोर्ट द्वारा फरवरी, 2019 में केंद्रीय सूचना आयोग में पदों और रिक्तियों के सबंध में दिए एक फैसले में जारी निर्देशों को केंद्र सरकार की ओर से अनुपाल की मांग की है। याचिकाकर्ता की ओर से पेश अधिवक्ता प्रशांत भूषण के अनुरोध पर कोर्ट ने स्थगन स्वीकार कर लिया।

जस्टिस एस अब्दुल नजीर और जस्टिस कृष्ण मुरारी की खंडपीठ ने कर्नाटक को राज्य सूचना आयोग (एसआईसी) में मौजूदा रिक्तियों के संबंध में स्थिति रिपोर्ट दाखिल करने के लिए 4 सप्ताह का और समय दिया। 8 अगस्त, 2021 को कर्नाटक ने पीठ को अवगत कराया था कि एसआईसी में 11 में से 8 पद भरे जा चुके हैं और बाकी 3 रिक्तियों के लिए विज्ञापन प्रकाशित किए जा चुके हैं।

पीठ ने 18 अगस्त, 2021 को सभी राज्यों को राज्य सूचना आयोगों में रिक्त पदों और लंबित अपील पर एक स्थिति रिपोर्ट दाखिल करने का निर्देश दिया था।

इस मामले में याचिकाकर्ता ने कहा था कि केंद्र सरकार सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों का गंभीर रूप से पालन नहीं कर रही है। अधिवक्ता प्रशांत भूषण ने सुनवाई की एक प‌िछली तारीख पर निम्‍न बिंदुओं को उठाया था-

"3 मुद्दे हैं:

1. रिक्तियों को भरने के संबंध में। वे कहते हैं कि 10 रिक्तियां हैं और वे कहते हैं कि 7 तक ठीक है। इस अदालत के 3 आदेश कहते हैं कि सभी 11 रिक्तियों को भरने की जरूरत है।

2. उन्हें शॉर्टलिस्टिंग क्राइटेरिया बताने के लिए कहा गया था। उन्होंने ऐसा नहीं किया है।

3. एक पत्रकार को नियुक्त किया गया था; सिर्फ इसलिए कि वह एक पत्रकार है और सरकार जो कुछ भी करती है वही कहता है, इसका मतलब यह नहीं है कि वे उसे इस पद पर नियुक्त करेंगे।"

याचिका में केंद्र सरकार द्वारा 16 दिसंबर, 2019 के आदेश का पालन न करने का हवाला दिया गया था, जिसमें सुप्रीम कोर्ट ने सीआईसी में मौजूद रिक्तियों को भरने के लिए केंद्र को तीन महीने का समय दिया था। याचिका में 2 फरवरी, 2019 के फैसले में दिए गए सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों का पालन करने में राज्य सरकारों की विफलता को भी रेखांकित किया गया है और आगे बताती है कि महाराष्ट्र का राज्य सूचना आयोग केवल 5 आयुक्तों के साथ कैसे काम कर रहा है, जब लगभग 60,000 अपील/शिकायतें बैकलॉग में हैं।

केस शीर्षक: अंजलि भारद्वाज और अन्य बनाम यूनियन ऑफ इंडिया और अन्य, M.A. 1979/2019 in WP(c) 436.2018 

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