[पजेशन ऑफ ड्रग्स] सुप्रीम कोर्ट ने थर्ड ईयर लॉ स्टूडेंट की ज़मानत याचिका पर असम सरकार से जवाब मांगा

Update: 2023-04-27 04:18 GMT

सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को असम राज्य को नारकोटिक ड्रग्स एंड साइकोट्रोपिक सब्सटेंस एक्ट, 1985 (एनडीपीएस एक्ट) के तहत दर्ज मामले में थर्ड ईयर लॉ स्टूडेंट द्वारा दायर याचिका पर जवाबी हलफनामा दायर करने को कहा।

जस्टिस अजय रस्तोगी और जस्टिस बेला त्रिवेदी की बेंच 10 हफ्ते बाद मामले की सुनवाई करेगी। एसएलपी पिछले साल 15 नवंबर को गुवाहाटी हाईकोर्ट के आदेश को चुनौती देते हुए दायर की गई, जिसमें उसे अग्रिम जमानत से इनकार किया गया था।

अभियोजन पक्ष के अनुसार, 22 सितंबर, 2022 को पुलिस टीम ने याचिकाकर्ता के घर की तलाशी ली और चार प्लास्टिक कंटेनरों में 9.80 ग्राम संदिग्ध हेरोइन, 21.89 ग्राम संदिग्ध हेरोइन के साथ तंबाकू कंटेनर और स्पैन-ट्रांकन प्लस के 24 कैप्सूल बरामद किए।

सुनवाई के दौरान राज्य के वकील ने एसएलपी का पुरजोर विरोध किया। चूंकि याचिकाकर्ता लॉ स्टूडेंट है, इसलिए उसे इस तरह की गतिविधियों का सहारा नहीं लेना चाहिए था।

वकील ने तर्क दिया,

"कोई व्यक्ति जो लॉ स्टूडेंट है उसे बेहतर पता होना चाहिए।"

खंडपीठ ने जब उनसे याचिकाकर्ता की उम्र पूछी तो वकील ने जवाब दिया कि उनकी उम्र अधिकतम 25 वर्ष होगी।

वकील ने कहा,

"वह 25 का होगा। वह लास्ट ईयर का लॉ स्टूडेंट है [तीन वर्षीय एलएलबी कोर्स]। हम पांच अलग-अलग मौकों पर उसके घर जा चुके हैं, तब से वह फरार है।

इसके अलावा, उन्होंने तर्क दिया कि असम में ड्रग्स के खिलाफ बड़ा अभियान चल रहा है।

उन्होंने कहा,

“असम में ड्रग्स के खिलाफ अभियान चल रहा है। उच्च और निम्न मात्रा में बहुत से लोगों के पास ये पदार्थ होते हैं। इसकी जड़ म्यांमार में है और यह वहां से मणिपुर और नागालैंड के माध्यम से राज्य तक पहुंचता है।”

फरवरी में मामले में नोटिस जारी करते हुए कोर्ट ने याचिकाकर्ता की अग्रिम जमानत खारिज करने के हाईकोर्ट के आदेश पर रोक लगा दी थी।

केस टाइटल: जाहिदुल इस्लाम @ मोहम्मद जाहिदुल इस्लाम बनाम असम राज्य | अपील करने के लिए विशेष अवकाश (क्रि.) नंबर 1989- 1990/2023

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