फिल्म 'छपाक' के प्रदर्शन पर रोक की मांग : मेघना गुलज़ार ने बॉम्बे हाईकोर्ट में कहा, सत्य घटनाओं पर कॉपीराइट का दावा नहीं किया जा सकता
फिल्म 'छपाक' की निर्देशक मेघना गुलजार ने मंगलवार को बॉम्बे हाईकोर्ट के समक्ष एक हलफनामा दायर किया और अदालत को बताया कि यह एक स्थापित कानून है कि वास्तविक जीवन की घटनाओं पर कॉपीराइट का दावा नहीं किया जा सकता। मेघना ने फिल्म के प्रदर्शन पर रोक लगाने की मांग करने वाली याचिका को खारिज करने का अनुरोध किया। यह फिल्म 10 जनवरी को रिलीज होने वाली है।
राकेश भारती नामक व्यक्ति ने ने उक्त याचिका दायर की और मेघना गुलज़ार ने अपने हलफनामे में कहा कि यह "पूरी तरह से गलत, तुच्छ, कानूनी रूप से अस्थिर और अनर्गल है।" मेघना गुलज़ार ने कहा कि प्रचार हासिल करने और फिल्म की रिलीज़ में बाधा डालने या उसमें देरी करने के गलत मकसद से इस याचिका को दायर किया गया है।
न्यायमूर्ति एससी गुप्ते के समक्ष सुनवाई के लिए आई याचिका में याचिकाकर्ता का दावा है कि वह 2014 से उक्त कहानी के लिए विचार विकसित कर रहा है और उसी वर्ष लक्ष्मी ने उसे अपने जीवन पर फिल्म बनाने की अनुमति दी थी। भारती ने आरोप लगाया कि उसे फॉक्स स्टार स्टूडियो में अधिकारियों से भी मुलाकात की और आखिरकार फरवरी 2017 में मेघना को लिखा लेकिन उन्होंने जवाब नहीं दिया, याचिकाकर्ता ने कहा।
फिल्म एसिड अटैक सर्वाइवर लक्ष्मी अग्रवाल के जीवन पर आधारित है। लक्ष्मी पर एक 32 वर्षीय व्यक्ति ने तेजाब फेंक दिया था जब वह सिर्फ 15 वर्ष की थी।
एडवोकेट अशोक सरावगी, मैनेजिंग पार्टनर, नाइक एंड कंपनी फिल्म के निर्माताओं की ओर से पेश हुए।
हलफनामे में कहा गया है-
"वादी किसी भी सामग्री को रिकॉर्ड पर रखने में विफल रहा है। फिल्म के प्री-प्रोडक्शन और पोस्ट-प्रोडक्शन गतिविधियों का विवरण फरवरी 2017 से सार्वजनिक डोमेन में है। फिल्म को प्रिंट मीडिया और डिजिटल प्लेटफॉर्म के माध्यम से व्यापक रूप से प्रचारित किया गया है, इसलिए, यह अस्वीकार्य है कि याचिकाकर्ता सूट फिल्म का निर्माण करने वाले इस प्रतिवादी से अनजान था। "
इसके अलावा मेघना गुलज़ार ने अपने हलफनामे में दावा किया है कि कॉपीराइट सुरक्षा को उन सूचनाओं तक नहीं बढ़ाया जा सकता है जो सार्वजनिक डोमेन में उपलब्ध तथ्यों का गठन करती हैं जो उन घटनाओं पर आधारित होती हैं, जो तथ्यात्मक रूप से ट्रांसपेरेंट हैं।