किसी मामले की मीडिया रिपोर्टिंग पर पाबंदी की अपील उसी अदालत में दायर की जा सकती है, जहां मूल अपील सुनवाई के लिए लंबित है : दिल्ली हाईकोर्ट

Update: 2019-10-31 10:41 GMT

दिल्ली हाईकोर्ट ने कहा है कि किसी मामले की मीडिया रिपोर्टिंग पर अगर पाबंदी की मांग की जाती है तो इसके लिए अपील उसी अदालत में दायर की जा सकती है जिस अदालत में मूल अपील सुनवाई के लिए लंबित है, किसी अन्य अदालत में नहीं।

वर्तमान मामले में, याचिकाकर्ता ने अदालत से अपनी याचिका के माध्यम से मांग की थी कि वह प्रतिवादी को कार्यस्थल पर उसके यौन उत्पीड़न के बारे में सुनवाई का विवरण इलेक्ट्रॉनिक मीडिया को देने से मना करे।

याचिकाकर्ता ने अपनी दलील में कहा,

1. प्रतिवादी लगातार अपने केस को बेहतर करता जा रहा है और इस तरह वादी के खिलाफ एक विभेदकारी स्थिति बन रही है।

2. प्रतिवादी चूंकि चुनिन्दा तौर पर इस मामले से जुड़ी खबरें लीक कर रहा है जिसकी वजह से वादी का मीडिया ट्रायल हो रहा है और उसकी मुश्किलें बढ़ गई हैं।

3. कम से कम प्रतिवादी को वादी के इस मामले के बारे में मीडिया से बात करने से रोका जाए।

याचिकाकर्ता के इस दावे को खारिज करते हुए जस्टिस एंदलाव ने कहा,

"उक्त शिकायतकर्ता को मीडिया से बात करने से रोकने का आदेश वही अदालत दे सकती है जो शिकायतकर्ता की दर्ज शिकायत की सुनवाई कर रही है, क्योंकि वही अदालत इस बात से संबंधित शिकायत के बारे में कोई निर्णय लेने में सक्षम है...।"

उन्होंने यह भी कहा कि दूसरी अदालत को इस विवाद में पड़ने की इजाजत नहीं है और वह शिकायतकर्ता और जिसके खिलाफ शिकायत की गई है उसकी शिकायत की मेरिट पर निर्णय नहीं कर सकता और उस स्थिति में मीडिया को इस तरह के मामले की रिपोर्टिंग से रोकने का आदेश नहीं दे सकता जबकि यह अदालती कार्रवाई खुली है और इसकी सुनवाई सार्वजनिक रूप से खुली अदालत में होती है और मीडिया की रिपोर्टिंग अदालत कक्ष का एक विस्तार मात्र है।

इस मामले में याचिकाकर्ता की पैरवी अंचित शर्मा और अनुकृति पारीक ने की। 



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