बेंगलुरु सेंट्रल में वोटर लिस्ट में हेराफेरी के राहुल गांधी के आरोपों की SIR जांच की मांग को लेकर सुप्रीम कोर्ट में याचिका
2024 के लोकसभा चुनावों के दौरान बेंगलुरु सेंट्रल निर्वाचन क्षेत्र में बड़े पैमाने पर वोटर लिस्ट में हेराफेरी के संबंध में विपक्ष के नेता राहुल गांधी द्वारा लगाए गए आरोपों की जांच के लिए पूर्व जज की अध्यक्षता में विशेष जांच दल (SIR) के गठन की मांग करते हुए सुप्रीम कोर्ट में जनहित याचिका दायर की गई।
वकील रोहित पांडे द्वारा दायर याचिका में यह भी निर्देश देने की मांग की गई कि न्यायालय के निर्देशों का पालन होने और मतदाता सूची का स्वतंत्र ऑडिट पूरा होने तक मतदाता सूची में कोई और संशोधन या अंतिम रूप न दिया जाए।
याचिकाकर्ता ने मतदाता सूची की तैयारी, रखरखाव और प्रकाशन में पारदर्शिता, जवाबदेही और सत्यनिष्ठा सुनिश्चित करने के लिए भारत के चुनाव आयोग के लिए बाध्यकारी दिशानिर्देश तैयार करने और जारी करने की भी मांग की, जिसमें डुप्लिकेट या फर्जी प्रविष्टियों का पता लगाने और उनकी रोकथाम के लिए तंत्र शामिल हैं।
चुनाव आयोग को मतदाता सूचियों को सुलभ, मशीन-पठनीय और ओसीआर-अनुरूप प्रारूपों में प्रकाशित करने का निर्देश देने की भी मांग की गई ताकि सार्थक सत्यापन, ऑडिट और सार्वजनिक जांच संभव हो सके।
याचिका में राहुल गांधी की 7 अगस्त की प्रेस कॉन्फ्रेंस का हवाला दिया गया, जहां उन्होंने यह मुद्दा उठाया। याचिकाकर्ता ने दावा किया कि उन्होंने विपक्ष के नेता द्वारा लगाए गए आरोपों की स्वतंत्र रूप से पुष्टि की और "प्रथम दृष्टया पर्याप्त सामग्री पाई, जिससे यह स्थापित होता है कि आरोप वैध मतों के मूल्य को कमज़ोर और विकृत करने के व्यवस्थित प्रयास को उजागर करते हैं, इसलिए व्यापक जनहित में इस माननीय न्यायालय द्वारा तत्काल हस्तक्षेप आवश्यक है।"
उनके अनुसार, निर्वाचन क्षेत्र में 40,009 अवैध मतदाता और 10,452 डुप्लिकेट प्रविष्टियां थीं। यह कहा गया कि एक व्यक्ति के अलग-अलग राज्यों में अलग-अलग EPIC नंबर होने के उदाहरण हैं। हालांकि, EPIC नंबर अद्वितीय माना जाता है। इसके अलावा, कई मतदाताओं के घर के पते और पिता के नाम एक जैसे थे। एक मतदान केंद्र के लगभग 80 मतदाताओं ने एक छोटे से घर का पता दिया। ऐसे उदाहरण मतदाता सूचियों की प्रामाणिकता पर गंभीर संदेह पैदा करते हैं और फर्जी मतदान की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता।
याचिकाकर्ता ने कहा,
"मतदाता सूची में इस तरह की हेराफेरी अनुच्छेद 326 (सार्वभौमिक वयस्क मताधिकार) के तहत प्रदत्त संवैधानिक गारंटी की जड़ पर प्रहार करती है, अनुच्छेद 324 (भारत के चुनाव आयोग द्वारा स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनावों का पर्यवेक्षण) का उल्लंघन करती है। साथ ही भारतीय संविधान के अनुच्छेद 14 और 21 का सीधा उल्लंघन करती है, जो कानून के समक्ष समानता और लोकतांत्रिक शासन में सार्थक भागीदारी के अधिकार की रक्षा करते हैं।"
याचिकाकर्ता ने तर्क दिया कि मतदाता सूची में इस तरह की बड़े पैमाने पर छेड़छाड़, यदि सिद्ध हो जाती है तो अनुच्छेद 325 और 326 के तहत "एक व्यक्ति, एक वोट" के संवैधानिक आदेश की नींव पर प्रहार करती है, वैध मतदान के मूल्य को कम करती है और समानता और उचित प्रक्रिया के सिद्धांतों का उल्लंघन करती है।
यह याचिका एडवोकेट कौसर रज़ा फ़रीदी के माध्यम से दायर की गई।
Case : Rohit Pandey v. Union of India and others | Diary No.46726/2025