'पीरियड चेक' पर रोक की मांग: मासिक धर्म गरिमा मुद्दा उठाने पर सुप्रीम कोर्ट ने SCBA की सराहना की, याचिका पर नोटिस जारी

Update: 2025-11-28 10:59 GMT

सुप्रीम कोर्ट ने सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन (SCBA) की उस याचिका पर नोटिस जारी किया है जिसमें कार्यस्थलों और शैक्षणिक संस्थानों में मासिक धर्म या स्त्रीरोग संबंधी समस्याओं के दौरान महिलाओं की निजता, गरिमा और शारीरिक स्वायत्तता की रक्षा के लिए बाध्यकारी दिशानिर्देश बनाने की मांग की गई है।

यह याचिका हरियाणा के महार्षि दयानंद विश्वविद्यालय की उस घटना के बाद दायर की गई, जहां महिला सफाई कर्मचारियों से यह साबित करने के लिए अपमानजनक जांच कराई गई कि वे मासिक धर्म में हैं या नहीं।

जस्टिस बी.वी. नागरत्ना और जस्टिस आर. महादेवन की बेंच ने SCBA की पहल की सराहना की और कहा कि यदि कोई कर्मचारी मासिक धर्म के कारण भारी काम न कर पाए, तो दूसरे कर्मचारी को तैनात किया जा सकता था। SCBA अध्यक्ष विकास सिंह ने बताया कि ऐसे मामले कई राज्यों में सामने आए हैं और पूरे देश के लिए दिशानिर्देश ज़रूरी हैं।

हरियाणा सरकार ने कोर्ट को बताया कि जिम्मेदार दो पर्यवेक्षकों और सहायक रजिस्ट्रार के खिलाफ कार्रवाई की गई है और एससी/एसटी एक्ट भी लगाया गया है।

याचिका में शिकायत का हवाला दिया गया है कि कर्मचारियों से सैनिटरी पैड की तस्वीरें मांगी गईं और दबाव डालकर वॉशरूम में फोटो भेजने को कहा गया। इसमें महाराष्ट्र के एक स्कूल की घटना जैसे अन्य उदाहरण भी शामिल हैं।

SCBA ने इसे अनुच्छेद 21 का उल्लंघन बताते हुए “विशाखा गाइडलाइंस” की तर्ज पर दिशानिर्देश, अनिवार्य प्रोटोकॉल और जागरूकता कार्यक्रम बनाने की मांग की है ताकि मासिक धर्म के दौरान महिलाओं—कर्मचारी और छात्राओं—के साथ सम्मानजनक व्यवहार सुनिश्चित हो सके।

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