वैवाहिक अधिकार की बहाली की कार्यवाही में विजिटेशन राइट /अस्थायी चाइल्ड कस्टडी का आदेश पारित नहीं किया जा सकता: सुप्रीम कोर्ट
सुप्रीम कोर्ट ने टिप्पणी की कि विजिटिंग राइट (मुलाकात का अधिकार) या अस्थायी चाइल्ड कस्टडी के आदेश को हिंदू मैरिज एक्ट (रेस्टिटयूशन ऑफ कांज्यूगल राइट्स यानि वैवाहिक अधिकारों की बहाली) की धारा 9 की कार्यवाही के तहत पारित नहीं किया जा सकता है।
मौजूदा मामले में पति ने हिंदू मैरिज एक्ट, 1955 की धारा 9 के तहत पुडुचेरी स्थित फैमिली कोर्ट के समक्ष वैवाहिक अधिकारों की बहाली के लिए एक याचिका दायर की थी।
उक्त कार्यवाहियों में, उसने एक अंतर्वर्ती आवेदन दायर किया, जिसका उद्देश्य कथित तौर पर अधिनियम की धारा 26 के तहत बच्चे की कस्टडी प्रदान करने के लिए याचिका दायर करना था। दोनों याचिकाओं पर एकपक्षीय रूप से विचार किया गया और फिर फैसला सुनाया गया।
जिसके बाद, पत्नी ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया और उक्त कार्यवाही को बेंगलुरु स्थित फैमिली कोर्ट में स्थानांतरित करने की मांग की। पति ने तर्क दिया कि पत्नी की ओर से की गई स्थानांतरण की की मांग संबंधी धारा 9 की याचिका पर पहले ही निर्णय लिया जा चुका है, और इसलिए मौजूदा स्थानांतरण याचिका निष्फल हो जाती है।
जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस जेके माहेश्वरी की पीठ ने कहा,
"हमें ऐसा प्रतीत होता है कि याचिकाकर्ता (पत्नी) को केवल इसलिए निष्पक्ष सुनवाई से वंचित कर दिया गया क्योंकि वह दोनों याचिकाओं को चुनौती देने के लिए बच्चे को बेंगलुरु में छोड़कर पुदुचेरी नहीं जा सकती थी। प्रतिवादी (पति) को हिंदू विवाह अधिनियम, 1955 की धारा 26 के तहत अलग और स्वतंत्र याचिका दायर करनी चाहिए थी, बजाय कि अधिनियम की धारा 9 के तहत लंबित कार्यवाही में एक आदेश सुरक्षित करने के....तीन जून 2019 का आदेश, जिसके तहत प्रतिवादी (पति) को मुलाक़ात का अधिकार या बच्चे की अस्थायी कस्टडी दी गई स्पष्ट रूप से अवैध है।"
इसलिए अदालत ने भारत के संविधान के अनुच्छेद 142 के तहत शक्तियों का इस्तेमाल किया और उसे रद्द कर दिया। अदालत ने कार्यवाही को फैमिली कोर्ट, बेंगलुरु में स्थानांतरित करने का निर्देश दिया।
केस डिटेलः प्रियंका बनाम संतोष कुमार | 2022 लाइवलॉ (SC) 1021 | Transfer Petition(Civil) 964 of 2021 | 8 December 2022| 8 दिसंबर 2022 | जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस जेके माहेश्वरी