"यह कहने के पीछे कोई वैज्ञानिक आधार नहीं है कि दफनाने से कोरोना वायरस फैलता है", बॉम्बे हाईकोर्ट ने बांद्रा कब्रिस्तान में शव दफनाने के खिलाफ याचिका खारिज की
बॉम्बे हाईकोर्ट ने शुक्रवार को मुंबई के कुछ निवासियों द्वारा दायर रिट याचिका को खारिज कर दिया है, जिन्होंने ग्रेटर मुंबई नगर निगम द्वारा COVID -19 पीड़ितों को दफनाने के लिए बांद्रा में तीन कब्रिस्तानों का इस्तेमाल करने की अनुमति को चुनौती दी थी, क्योंकि इससे एक समुदाय में भय फैल गया था।
मुख्य न्यायाधीश दीपांकर दत्ता और न्यायमूर्ति एसएस शिंदे की खंडपीठ ने पाया कि याचिकाकर्ता के दावे का समर्थन करने के लिए कोई वैज्ञानिक डेटा नहीं है कि वायरस शव दफनाने से फैलता है और यह माना जाता है कि निगम को इस तरह की अनुमति देने और कब्रिस्तानों को तदनुसार सीमांकित करने का अधिकार है।
न्यायालय ने कहा कि शवों का सभ्य रूप से निपटान करने का अधिकार संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत जीवन के अधिकार का एक पहलू है, और कहा कि याचिकाकर्ता "असंवेदनशील" हैं।
कोर्ट ने कहा कि हमने याचिकाकर्ताओं को दूसरों की भावनाओं के प्रति असंवेदनशील पाया है।
कोर्ट ने कहा,
"एक सभ्य दफन का अधिकार, व्यक्ति की गरिमा के अनुरूप, संविधान के अनुच्छेद 21 द्वारा गारंटीकृत जीवन के अधिकार के एक पहलू के रूप में मान्यता प्राप्त है।
इस प्रकार, ऐसा कोई कारण नहीं है कि इस संकट अवधि के दौरान किसी व्यक्ति की मृत्यु होने पर इस कारण कि वह COVID-19 संक्रमण का संदिग्ध / पुष्टि वाला था, उसे उन सुविधाओं का हकदार नहीं माना जाए, जिसका हकदार वह सामान्य परिस्थितियों में होता।"
कोर्ट ने बुधवार को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए रिट याचिका पर सुनवाई की और मामले में अपना फैसला सुरक्षित रखा था।
पीठ ने कहा कि हालांकि यह अनुकरणीय लागत लगाने के लिए एक उपयुक्त मामला है, लेकिन क्योंकि COVOD -19 के फैलने की आशंका के परिणामस्वरूप मौजूदा स्थितियों के कारण याचिकाकर्ता डर गए थे, इसलिए कोई जुर्माना नहीं लगा रहे।
कोर्ट ने एमसीजीएम को COVOD -19 पीड़ितों के शवों को दफनाने के लिए दिशानिर्देशों का कड़ाई से अनुपालन सुनिश्चित करने का निर्देश दिया।
इससे पहले 4 मई को सुप्रीम कोर्ट ने मामले पर सुनवाई से इनकार करते हुए इसे बॉम्बे हाईकोर्ट के पास भेजा था।
जस्टिस आर एफ नरीमन और जस्टिस इंदिरा बनर्जी की पीठ ने इस मामले को बॉम्बे हाईकोर्ट के पास भेजा और कहा है कि हाईकोर्ट दो सप्ताह के भीतर मामले का निपटारा करे।
पीठ ने कहा कि चूंकि बॉम्बे हाईकोर्ट का फैसला अंतरिम था, इसलिए ये उचित होगा कि हाईकोर्ट ही इस मामले की सुनवाई करे।
गौरतलब है कि मुंबई निवासी प्रदीप गांधी ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर बॉम्बे हाईकोर्ट के 27 अप्रैल के एक अंतरिम आदेश को चुनौती दी थी। हाईकोर्ट ने बांद्रा पश्चिम स्थित तीन कब्रिस्तानों में कोरोना से मरने वाले लोगों को दफनाए जाने पर रोक लगाने से इनकार कर दिया था।
गांधी ने यह आशंका जताई थी कि कोरोना से मरने वाले लोगों को दफनाने से आसपास के इलाकों में वायरस का संक्रमण फैलने का खतरा है क्योंकि इनके आसपास घनी आबादी है और करीब तीन लाख लोग रहते हैं। इसलिए इन लोगों को कहीं और दफनाया जाए जहां आबादी कम हो।
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