PM CARES फंड का कैग ऑडिट कराने की कोई आवश्यकता नहीं, क्योंकि यह एक सार्वजनिक धर्मार्थ ट्रस्ट है : सुप्रीम कोर्ट
सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि भारत के नियंत्रक और महालेखा परीक्षक ( CAG) से PM CARES फंड का ऑडिट कराने की कोई आवश्यकता नहीं है क्योंकि यह एक सार्वजनिक धर्मार्थ ट्रस्ट है।
जस्टिस अशोक भूषण,जस्टिस आर सुभाष रेड्डी और जस्टिस एमआर शाह की खंडपीठ ने यह टिप्पणी करते हुए इस मामले में सेंटर फॉर पब्लिक इंटरेस्ट लिटिगेशन की तरफ से दायर जनहित याचिका को खारिज कर दिया है। इस याचिका में मांग की गई थी कि COVID19 से निपटने के लिए आपदा प्रबंधन अधिनियम की धारा 11 के तहत एक नई राष्ट्रीय योजना तैयार करने के लिए निर्देश दिए जाएं और PM CARES फंड में आई सारी धनराशि को राष्ट्रीय आपदा राहत कोष ( एनडीआरएफ) में ट्रांसफर किया जाए।
सीपीआईएल द्वारा दी गई दलीलों में से एक दलील यह थी कि एनडीआरएफ का ऑडिट कैग द्वारा किया जाता है जबकि PM CARES फंड का ऑडिट कैग द्वारा नहीं किया जाता है, बल्कि इसका ऑडिट एक निजी चार्टर्ड अकाउंटेंट द्वारा किया जाता है। सीपीआईएल की तरफ से पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता दुष्यंत दवे ने कोर्ट के समक्ष दलील दी कि PM CARES फंड बनाकर एनडीआरएफ को दरकिनार किया जा रहा है।
दवे ने दलील दी कि,''जो प्रत्यक्ष रूप से नहीं किया जा सकता है ,वह अप्रत्यक्ष रूप से भी नहीं किया जा सकता है। हालांकि, एनडीआरएफ का कैग द्वारा ऑडिट किया जाता है, जबकि PM CARES फंड का ऑडिट निजी ऑडिटर द्वारा किया जाता है।''
इस दलील का जवाब देते हुए जस्टिस अशोक भूषण, जस्टिस आर सुभाष रेड्डी और एमआर शाह की बेंच ने कहा कि-
''श्री दवे ने दलीलों के दौरान यह स्पष्ट रूप से कहा है कि वह PM CARESफंड के गठन के बारे में सवाल नहीं उठा रहे हैं। उनका कहना यह है कि एनडीआरएफ का कैग द्वारा ऑडिट किया जाता है, लेकिन PM CARESफंड का ऑडिट कैग द्वारा नहीं बल्कि निजी चार्टर्ड अकाउंटेंट द्वारा किया जाता है। एनडीआरएफ और PM CARES फंड की प्रकृति पूरी तरह से अलग है। एनडीआरएफ के संबंध में अधिनियम, 2005 के तहत जारी दिशा-निर्देश में विशेष रूप से यह प्रावधान किया गया है कि एनडीआरएफ का ऑडिट भारत के नियंत्रक और महालेखा परीक्षक द्वारा किया जाएगा। जबकि सार्वजनिक धर्मार्थ ट्रस्ट के लिए भारत के नियंत्रक और महालेखा परीक्षक द्वारा आॅडिट करवाने की कोई आवश्यकता नहीं है।''
अदालत ने यह भी कहा कि PM CARES फंड एक सार्वजनिक धर्मार्थ ट्रस्ट है ,न कि कोई सरकारी कोष। यह भी कहा गया कि ट्रस्ट का प्रशासन ट्रस्टियों के पास निहित है,(अर्थात लोगों के एक समूह के पास है) सिर्फ इस आधार पर भी ट्रस्ट के सार्वजनिक चरित्र को उससे दूर नहीं किया जा सकता है या खत्म नहीं किया जा सकता है। इस संदर्भ में, अदालत ने 'मुल्ला गुलाम अली और सफियाबाई डी ट्रस्ट बनाम दीलीप कुमार एंड कंपनी (2003) 11 एससीसी 772' मामले में दिए गए फैसले का हवाला भी दिया।
''ट्रस्ट के लक्ष्य को पूरा करने के लिए PM CARESफंड में व्यक्तियों और संस्थानों द्वारा किए गए योगदान को सार्वजनिक उद्देश्य के लिए जारी किया जाता है। PM CARES फंड एक धर्मार्थ ट्रस्ट है जो पंजीकरण अधिनियम, 1908 के तहत 27 मार्च .2020 को नई दिल्ली में पंजीकृत हुई थी। ट्रस्ट को कोई बजटीय सहायता या कोई सरकारी धन प्राप्त नहीं होता है। इसलिए याचिकाकर्ता के लिए यह ओपन नहीं है कि वह PM CARESफंड बनाने वाले ट्रस्टियों की बुद्धिमत्ता पर सवाल उठा सके,क्योंकि इसका गठन सार्वजनिक स्वास्थ्य आपातकाल यानी महामारी COVID19 के मद्देनजर सहायता बढ़ाने के उद्देश्य से किया गया था।''
जनहित याचिका को खारिज करते हुए, पीठ ने सीपीआईएल द्वारा उठाए गए कानूनी मुद्दों का भी जवाब दिया,जो इस प्रकार हैं-
1-भारत संघ COVID19 के लिए एक नई राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन योजना को तैयार करने, अधिसूचित करने और लागू करने के लिए बाध्य नहीं है।
2-भारत संघ COVID19के लिए अधिनियम, 2005 की धारा 12 के तहत राहत के न्यूनतम मानकों को निर्धारित करने के लिए बाध्य नहीं है और धारा 12 के तहत जारी किए गए दिशा-निर्देश COVID19 महामारी के लिए भी राहत के न्यूनतम मानक प्रदान करते हैं।
3-नए दिशानिर्देशों के अनुसार, राज्यों के अनुरोध पर फंड जारी करके COVID19 महामारी की लड़ाई में सहायता प्रदान करने के लिए भारत सरकार एनडीआरएफ का बहुत अच्छी तरह से उपयोग कर सकती है।
4-किसी भी व्यक्ति या संस्थान द्वारा कोई भी अंशदान एनडीआरएफ में जमा कराने के लिए किसी तरह का कोई प्रतिबंध या रोक नहीं है। अधिनियम, 2005 की धारा 46 (1) (बी) के संदर्भ में किसी भी व्यक्ति या संस्था द्वारा एनडीआरएफ में योगदान करने के लिए एकदम खुला विकल्प अभी भी मौजूद है। PM CARESफंड में किसी व्यक्ति या किसी संस्था द्वारा किया जाने वाला योगदान स्वैच्छिक है और कोई भी व्यक्ति या संस्थान PM CARES फंड में योगदान कर सकता है और इसका विकल्प सभी के पास मौजूद है।
5-PM CARES फंड में एकत्रित फंड पूरी तरह से एक अलग फंड हैं जो एक सार्वजनिक धर्मार्थ ट्रस्ट का फंड हैं और उक्त फंड को एनडीआरएफ को हस्तांतरित करने के लिए कोई निर्देश जारी करने की आवश्यकता नहीं है।
न्यायालय ने यह भी स्पष्ट किया कि (ए) एनडीआरएफ के प्रशासन के लिए जारी दिशा-निर्देशों के अनुसार COVID19 की लड़ाई में सहायता प्रदान करने के लिए एनडीआरएफ का उपयोग करने के लिए भारतीय संघ पर कोई वैधानिक निषेध नहीं है। (बी) अधिनियम, 2005 की धारा 46 (1) (बी) के अनुसार एनडीआरएफ में किसी भी व्यक्ति या संस्था द्वारा कोई योगदान देने के लिए भी कोई वैधानिक निषेध नहीं है।
केस का विवरण-
केस का नाम- सेंटर फॉर पब्लिक इंटरेस्ट लिटिगेशन बनाम भारत संघ
केस नंबर-रिट पैटिशन (सिविल) नंबर 546/ 2020
कोरम-जस्टिस अशोक भूषण, जस्टिस आर सुभाष रेड्डी और जस्टिस एमआर शाह
प्रतिनिधित्व-वरिष्ठ सलाहकार दुष्यंत दवे और एसजी तुषार मेहता