बैंगलोर जिला आयोग ने रिलायंस रिटेल को गलत सामान डेलीवर करने पर रिफंड और मुआवजे देने के लिए जिम्मेदार ठहराया
बैंगलोर जिला आयोग ने रिलायंस रिटेल को डेलीवर गलत सामान को वापस ना करने पर, रिफंड और मुआवजे देने के लिए जिम्मेदार ठहराया।
बेंगलुरु शहरी-द्वितीय अतिरिक्त जिला उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग (कर्नाटक) की खंडपीठ, जिसमें श्री विजयकुमार एम. पावले (अध्यक्ष), श्री बी. देवराजू (सदस्य) और श्रीमती वी. अनुराधा (सदस्य) शामिल थे ,ने रिलायंस रिटेल लिमिटेड को गलत उत्पाद के रिटर्न अनुरोध को रद्द करने के लिए सेवा में कमी के लिए जिम्मेदार ठहराया, क्योंकि उसने स्वेच्छा से अपनी गलती स्वीकार की और जल्द से जल्द रिटर्न निर्धारित करने पर सहमति व्यक्त की।
श्री जीवन कुमार ("शिकायतकर्ता") ने 06.01.2023 को रिलायंस रिटेल लिमिटेड से 83,700 रुपये मूल्य की पुश-बटन क्लैप के साथ एनालॉग घड़ी का ऑर्डर किया था। हालांकि, समान प्राप्त करने पर, शिकायतकर्ता ने पाया कि जिस समान के लिए उसने ऑर्डर किया था ये वो समान नही है । इससे परेशान होकर, शिकायतकर्ता ने 10.01.2023 को गलत समान की वापसी और धनवापसी का अनुरोध किया।
रिलायंस रिटेल ने समान का सत्यापन करने के बाद अपनी गलती को मानते हुये शिकायतकर्ता के अनुरोध को स्वीकार किया। तथा ये आश्वासन दिया कि जल्द जल्द से जल्द सामान को पिकअप किया जाएगा और रिफ़ंड की प्रक्रिया भी कर दी जाएगी, लेकिन 23.01.2023 को सामान वापसी के अनुरोध को अस्वीकार करते हुये ये कहा कि भेजा ज्ञ समान सही था।
शिकायतकर्ता द्वारा इस मुद्दे को संवाद करने और हल करने के कई प्रयासों के बावजूद, रिलायंस रिटेल की तरफ से कोई हल नही निकाला गया। इससे परेशान, शिकायतकर्ता ने 08.02.2023 को एक लीगल नोटिस जारी किया, जिसमें रिलायंस रिटेल को स्थिति को संबोधित करने और सुधारने के लिए कहा गया। इसने लीगल नोटिस में उल्लेखित अनुरोधों का न तो जवाब दिया और न ही उनका अनुपालन किया। इस प्रकार, शिकायतकर्ता ने बैंगलोर शहरी -द्वितीय अतिरिक्त जिला उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग, कर्नाटक ("जिला आयोग") में उपभोक्ता शिकायत दर्ज की। कार्यवाही के दौरान रिलायंस रिटेल नोटिस दिए जाने के बावजूद पेश हुई लेकिन निर्धारित 45 दिनों के भीतर अपना पक्ष रखने में विफल रही।
जिला आयोग ने कहा कि शिकायतकर्ता ने उसे मिले गलत सामान की कई तस्वीरें भेजीं। शुरुआत में, रिलायंस रिटेल सामानलेने और राशि वापस करने के लिए सहमत हो गया, लेकिन बाद में उत्पाद के पिकअप और रिफंड के अनुरोध को अस्वीकार कर दिया। इसके अलावा, जिला आयोग ने कहा कि रिलायंस रिटेल ने न तो लीगल नोटिस का जवाब दिया और न ही लीगल नोटिस में किए गए अनुरोध का पालन किया। जिला आयोग के अनुसार यह रिलायंस रिटेल की ओर से सेवा में कमी को दर्शाता है।
नतीजतन, जिला आयोग ने शिकायतकर्ता के पक्ष में फैसला सुनाया और रिलायंस रिटेल को शिकायतकर्ता को 83,700 रुपये की पूरी राशि वापस करने का आदेश दिया। तथा 1,000 रुपये लिटिगेशन चार्ज और ऑनलाइन रिटेलर को शिकायतकर्ता को 2,000 रुपये मुआवजा देने का भी आदेश दिया।
शिकायतकर्ता के वकील: व्यक्तिगत रूप से खुद शिकायतकर्ता
प्रतिवादी के वकील: वी ऐफराधा
केस टाइटल: जीवन कुमार बनाम रिलायंस रिटेल लिमिटेड
केस नंबर: सी सी/116/2023
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