मोटर दुर्घटना मुआवजा – 40 वर्ष से कम आयु के स्वरोजगार मृतक के मामले में भविष्य की संभावनाओं के मद में 40 प्रतिशत अधिक राशि प्राप्त करने का हक
सुप्रीम कोर्ट ने एक बार फिर कहा है कि मोटर दुर्घटना में मृत व्यक्ति यदि स्वरोजगार कर रहा हो और उसकी उम्र 40 वर्ष से कम हो तो मोटर दुर्घटना मुआवजे का आकलन करते वक्त आय का 40 प्रतिशत हिस्सा भविष्य की संभावनाओं को ध्यान मे रखते हुए अतिरिक्त रूप से दिया जाना चाहिए।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा,
"इस कोर्ट की पांच न्यायाधीशों की बेंच ने 'नेशनल इंश्योरेंस कंपनी लिमिटेड बनाम प्रणय सेठी , (2017) 16 एससीसी 680' मामले में स्पष्ट रूप से कहा है कि मोटर दुर्घटना में मृत व्यक्ति यदि स्वरोजगार कर रहा हो और उसकी उम्र 40 वर्ष से कम हो तो मोटर दुर्घटना मुआवजे का आकलन करते वक्त आय का 40 प्रतिशत हिस्सा भविष्य की संभावनाओं को ध्यान मे रखते हुए अतिरिक्त रूप से दिया जाना चाहिए। इस मामले में मृतका स्व नियोजित थी और उसकी उम्र 37 वर्ष थी, इसलिए वह भविष्य की संभावनाओं के मद में 40 प्रतिशत अधिक राशि प्राप्त करने की हकदार है।"
हाईकोर्ट ने व्यवस्था दी थी कि इस मामले में मृतका भविष्य की संभावनाओं के मद में अतिरिक्त राशि हासिल करने की हकदार नहीं है क्योंकि वह अपना रोजगार करती थी।
हाईकोर्ट ने मृतका के निजी खर्चे के मद से 50 प्रतिशत की राशि भी काट दी थी। सुप्रीम कोर्ट ने इस निर्णय को दोषपूर्ण करार देत हुए कहा कि प्रणय सेठी मामले में दिये गये फैसले में व्यवस्था दी गयी थी कि जब मृतका विवाहित हो और उसके दो आश्रित भी हों तो व्यक्तिगत खर्चों में की गयी कटौती आय की एक तिहाई रखी जानी चाहिए।
सुप्रीम कोर्ट ने मुआवजे की राशि फिर से तय करते हुए भविष्य की संभावनाओं के मद में 40 प्रतिशत अतिरिक्त राशि देने और निजी खर्चों के तौर पर आय की एक तिहाई काटने का निर्देश दिया।
केस का ब्योरा
टाइटल : राहुल शर्मा एवं अन्य बनाम नेशनल इंश्योरेंस कंपनी लिमिटेड एवं अन्य
कोरम : सीजेआई एन वी रमना, न्यायमूर्ति सूर्य कांत और न्यायमूर्ति अनिरुद्ध बोस
साइटेशन : एलएल 2021 एससी 252
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