सुप्रीम कोर्ट ने सासंदों, विधायकों की अयोग्यता के लिए स्वतंत्र निकाय की स्थापना की वकालत की, संसद से पुनर्विचार को कहा

Update: 2020-01-21 07:37 GMT

एक अहम फैसले में सुप्रीम कोर्ट ने सासंदों व विधायकों की अयोग्यता पर फैसला करने के लिए एक स्वतंत्र निकाय के गठन की वकालत की है।

जस्टिस आर एफ नरीमन की पीठ ने मंगलवार को दिए एक फैसले में कहा कि संसद को फिर से विचार करना चाहिए कि अयोग्यता पर फैसला स्पीकर करे जो कि एक पार्टी से संबंधित होता है, या फिर इसके लिए स्वतंत्र जांच का मैकेनिज्म बनाया जाए।

अपने फैसले में सुप्रीम कोर्ट ने पीठ ने कहा,

" ये समय है कि संसद इस पर पुनर्विचार करे कि सदस्यों की अयोग्यता का काम स्पीकर के पास रहे, जो एक पार्टी से संबंध रखता है  या फिर लोकतंत्र का कार्य समुचित चलता रहे इसके लिए अयोग्यता पर तुरंत फैसला लेने के लिए रिटायर्ड जजों या अन्य का ट्रिब्यूनल जैसा कोई स्वतंत्र निकाय हो।"

पीठ ने ये टिप्पणी मणिपुर के वन मंत्री टी श्यामकुमार की अयोग्यता के मामले में की है।

इस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने मणिपुर स्पीकर को कहा है कि वो अयोग्यता पर चार हफ्ते में फैसला लें। कोर्ट ने कहा कि अगर स्पीकर चार हफ्ते में फैसला नहीं लेते हैं तो याचिकाकर्ता फिर सुप्रीम कोर्ट आ सकते हैं।

दरअसल कांग्रेसी विधायकों फजुर रहीम और के मेघचंद्र ने मंत्री को अयोग्य ठहराए जाने के लिए सुप्रीम कोर्ट का रुख किया था।

 श्यामकुमार ने कांग्रेस के टिकट पर 11 वीं मणिपुर विधान सभा चुनाव लड़ा था और वो विधायक चुने गए थे।लेकिन उन्होंने बाद में पार्टी बदल ली और बीजेपी में शामिल हो गए।

इसके बाद उन्हें सरकार में मंत्री पद दे दिया गया। कांग्रेसी विधायकों ने मांग की थी कि 10 वीं अनुसूची के तहत मंत्री की अयोग्यता बनती है और उन्हें सदस्यता से अयोग्य ठहराया जाना चाहिए।

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