मोटर दुर्घटना मुआवजे के दावों में मृतक की अनुमानित आय निर्धारित करने के लिए न्यूनतम मजदूरी अधिसूचना पर विचार किया जा सकता है: सुप्रीम कोर्ट

Update: 2022-10-20 13:02 GMT

सुप्रीम कोर्ट

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि मोटर दुर्घटना दावा मामलों में मृतक की अनुमानित आय निर्धारित करने के लिए 'न्यूनतम मजदूरी अधिसूचना' पर विचार किया जा सकता है।

दावेदारों के अनुसार, मृतक एक मछली विक्रेता के साथ ही एक ड्राइवर था और कम से कम 25,000 प्रति माह रुपये कमा रहा था।

मोटर दुर्घटना दावा न्यायाधिकरण ने पाया कि मृतक एक ड्राइवर था और उसकी मासिक आय 14,000/- रुपये निर्धारित की। इसके अलावा, यह मानते हुए कि मृतक को किराए के रूप में कम से कम 3,500/- रुपये मिलते थे, ट्रिब्यूनल ने उसकी अंतिम अनुमानित आय 17,500/- रुपये मानी थी। अपील में हाईकोर्ट ने पाया कि अधिकतम मासिक आय 10,000 रुपये मानी जा सकती है, इसे देखते हुए हाईकोर्ट ने ट्रिब्यूनल द्वारा दिए गए मुआवजे 32,39,000 रुपये काफी हद तक कम करके 19,70,000 रुपये कर दिया।

अपीलकर्ताओं-दावेदारों की ओर से पेश हुए सीनियर एडवोकेट थॉमस पी जोसेफ ने केरल मोटर ट्रांसपोर्ट वर्कर्स पेमेंट ऑफ फेयर वेज एक्ट, 1971 की अनुसूची बी को अदालत के संज्ञान में लाया, जिसके अनुसार एक 'ड्राइवर' को कैटेगरी III स्किल्ड बी के तहत 'कुशल कर्मचारी' के रूप में वर्गीकृत किया गया है।

उन्होंने केरल सरकार द्वारा जारी अधिसूचना जीओ (एमएस) नंबर 123/2015/एलबीआर 04.09.2015 का भी उल्लेख किया, जिसमें अधिनियम की अनुसूची बी में प्रत्येक श्रेणी के श्रमिकों के ‌लिए वर्ष 2015 के लिए वेतनमान निर्धारित किया गया है।

यह तर्क दिया गया था कि मृतक एक पंजीकृत ड्राइवर होने के नाते, केरल उचित मजदूरी अधिनियम के तहत परिभाषित 'ड्राइवर' के रूप में माने जाने का हकदार था और उसकी आय अधिसूचना के संदर्भ में तय की जानी थी।

इस सबमिशन से सहमत होते हुए, जस्टिस सूर्यकांत और अनिरुद्ध बोस की बेंच ने कहा कि यह दिखाने के लिए पर्याप्त सबूत मौजूद हैं कि मृतक एक वैध लाइसेंस के साथ एक मछली विक्रेता और ड्राइवर था।

अदालत ने कहा कि चंद्र उर्फ ​​चंदा चंद्रराम बनाम मुकेश कुमार यादव (2022) 1 SCC 198 में, यह माना गया कि वेतन प्रमाण पत्र के अभाव में, न्यूनतम मजदूरी अधिसूचना के साथ-साथ कुछ राशि का अनुमान जो वास्तविकता से पूरी तरह से अलग नहीं होगा, मृतक की आय निर्धारित करने के लिए एक मानदंड के रूप में कार्य करेगा।

कोर्ट ने कहा,

"केरल फेयर वेजेज एक्ट की अनुसूची बी श्रेणी III एक ड्राइवर को" कुशल कार्यकर्ता "के रूप में वर्गीकृत करती है। इसे एक जनवरी 2015 से प्रभावी अधिसूचना के संयोजन के साथ पढ़ने से, जिसने केरल उचित मजदूरी अधिनियम की अनुसूची ए में संशोधन करते हुए, अनुसूची बी में सूचीबद्ध श्रमिकों के लिए न्यूनतम वेतनमान निर्धारित किया, इनसे यह स्पष्ट है कि केरल में एक 'ड्राइवर' 2015 में न्यूनतम 15,600/- रुपये कमाता था।

ऐसा प्रतीत होता है कि उपरोक्त अधिनियम और उसके तहत जारी अधिसूचना को ट्रिब्यूनल या हाईकोर्ट के ध्यान में नहीं लाया गया था, जिसके परिणामस्वरूप, हाईकोर्ट को 'ड्राइवर' जैसे कुशल श्रमिक के लिए न्यूनतम मजदूरी निर्धारित करने वाले वैधानिक जनादेश का संज्ञान नहीं ने सका और इस प्रकार, मृतक की आय दस हजार रुपये पर तय करने में गलती हुई। इसलिए हम मृतक की आय को 15,600 रुपये प्रति माह निर्धारित करने के इच्छुक हैं।"

बीमा कंपनी द्वारा उठाया गया एक अन्य मुद्दा गैर परंपरागत शीर्षों के तहत मुआवजे के निर्धारण के संबंध में था। इस संबंध में पीठ ने कहा:

'हालांकि, हम इस याचिका पर विचार करने के लिए इच्छुक नहीं हैं क्योंकि बीमा कंपनी ने हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ अपील दायर करने का विकल्प नहीं चुना है। बरी होने के बाद, बीमा कंपनी 'गैर-पारंपरिक शीर्षों' के तहत अपीलकर्ताओं को दिए गए मुआवजे की मामूली राशि पर सवाल नहीं उठा सकती है। हालांकि, इस संबंध में कानून का सवाल खुला रखा गया है।"

केस डिटेलः मानुषा श्रीकुमार बनाम यूनाइटेड इंडिया इंश्योरेंस कंपनी लिमिटेड | 2022 लाइव लॉ (SC) 858 | CA 7593 Of 2022| 17 अक्टूबर 2022 | जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस अनिरुद्ध बोस


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