केवल इसलिए कि पुनर्विचार याचिका में स्थगन आवेदन लंबित है, कोर्ट के निर्देशों का पालन नहीं करने का आधार नहीं हो सकता: सुप्रीम कोर्ट

Update: 2022-11-12 07:26 GMT

सुप्रीम कोर्ट

सुप्रीम कोर्ट ने रिलायंस इंडस्ट्रीज लिमिटेड की ओर से दायर एक अवमानना ​​​​याचिका में नोटिस जारी करते हुए कहा, केवल इसलिए कि पुनर्विचार याचिका में स्थगन आवेदन लंबित है, यह कोर्ट द्वारा जारी निर्देशों का पालन ना करने का आधार नहीं हो सकता।

जस्टिस एमआर शाह और जस्टिस एमएम सुंदरेश की बेंच ने कहा कि स्थगन के साथ अपील और/या रिट याचिका के लंबित रहने की तुलना पुनर्विचार याचिका के लंबित होने से नहीं की जा सकती।

कोर्ट ने एक फैसले [रिलायंस इंडस्ट्रीज लिमिटेड बनाम सिक्योरिटीज एंड एक्सचेंज बोर्ड ऑफ इंडिया 2022 लाइवलॉ (एससी) 659] में, जिसे इस साल अगस्त में दिया गया था, कंपनी के खिलाफ आपराधिक शिकायत दर्ज करने के लिए सेबी द्वारा भरोसा किए गए कुछ दस्तावेजों तक पहुंचने के लिए आरआईएल की याचिका को अनुमति दी थी।

कोर्ट ने कहा,

"सेबी एक नियामक है और पार्टियों के खिलाफ कार्यवाही करते समय या किसी भी कार्रवाई की शुरुआत करते हुए निष्पक्ष रूप से कार्य करना उसका कर्तव्य है। अर्ध न्यायिक निकाय होने के नाते सेबी का संवैधानिक जनादेश कानून द्वारा निर्धारित नियमों के अनुसार निष्पक्ष रूप से कार्य करना है। नियामक की भूमिका शिकायतों और पार्टियों से निष्पक्ष तरीके से निपटने की है, न कि सफल दोष सिद्ध होने के लिए कानून के शासन को दरकिनार करना। नियामकों पर निष्पक्षता दिखाने के लिए सार्वजनिक सहयोग और सम्मान के रूप में एक वास्तविक कर्तव्य है।"

अवमानना ​​याचिका दायर करने वाली आरआईएल की ओर से पेश हुए सीनियर एडवोकेट हरीश साल्वे ने कोर्ट समक्ष प्रस्तुत किया, सेबी को दस्तावेजों की एक प्रति प्रस्तुत करने का निर्देश दिया गया था, लेकिन आज तक प्रस्तुत नहीं किया गया।

सेबी की ओर से पेश हुए सीनियर एडवोकेट केके वेणुगोपाल ने अदालत से आगे आदेश पारित नहीं करने का अनुरोध किया क्योंकि उसकी ओर से दायर एक पुनर्विचार याचिका लंबित है।

उन्होंने मॉडर्न फ़ूड इंडस्ट्रीज (इंडिया) लिमिटेड बनाम सच्चिदानंद दास 1995 Supp (4) SCC 465 के साथ-साथ जम्मू और कश्मीर राज्य बनाम मो याकूब खान (1992) 4 SCC 167 में दिए निर्णयों पर भरोसा किया।

अदालत ने नोट किया कि मो याकूब खान (सुप्रा) एक ऐसा मामला था, जहां विद्वान एकल न्यायाधीश द्वारा पारित एकतरफा आदेश के खिलाफ रिट याचिका लंबित होने के कारण अवमानना ​​​​कार्यवाही शुरू की गई थी। इसलिए यह देखा गया कि जब स्थगन आवेदन पर सुनवाई और निर्णय और निपटारा होना बाकी है, तो अवमानना ​​की कार्यवाही शुरू नहीं की जा सकती है।

केस डिटेलः रिलायंस इंडस्ट्रीज लिमिटेड बनाम विजयन ए (सेबी के अधिकृत प्रतिनिधि) | 2022 लाइवलॉ (SC) 950 | CONMT.PET.(C) No 570/2022 | 7 नवंबर 2022 | जस्टिस एमआर शाह और एमएम सुंदरेश

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