कोर्ट परिसर में जजों और वकीलों ने निकाला जुलूस, मद्रास हाईकोर्ट ने जाहिर की चिंता

Update: 2020-02-01 14:09 GMT
कोर्ट परिसर में जजों और वकीलों ने निकाला जुलूस, मद्रास हाईकोर्ट ने जाहिर की चिंता

Madras High Court

मद्रास हाईकोर्ट ने गुरुवार को अदालत परिसर में आयोजित एक जुलूस के आधार पर पुलिस द्वारा व्यक्त की गई सुरक्षा चिंताओं पर ध्यान दिया है।

शुक्रवार को चीफ ज‌स्टिस अमरेश्वर प्रताप साही की अध्यक्षता वाली पीठ ने तमिलनाडु पुलिस और केंद्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल (CISF) के उच्च पदस्थ अधिकारियों के साथ सुरक्षा उपायों की समीक्षा के लिए बैठक की और उन्हें स्‍थायी ठोस सुझाव देने का निर्देश दिया।

पुलिस उपायुक्त ने हाईकोर्ट परिसर में ‌रिटायर्ड जजों और वकीलों द्वारा अनधिकृत सभा और जुलूस को आयोजन करने के बाद रजिस्ट्रार जनरल, हाईकोर्ट को एक पत्र भेजा था।

पत्र में कहा गया है कि वरिष्ठ वकील जैसे वैगई, सुधा, सुभा, गिरिराजन, मिल्टन, भारती, परिवेन्‍धार, पथरसैथ और मद्रास हाईकोर्ट के तीन पूर्व जज- हरिपरशान्‍थमन, कन्नन और अकबर- नॉर्थ गेट तक जुलूस में शामिल हुए थे। जुलूस एस्पलेनैड गेट से प्रवेश किया और अंबेडकर की मूर्ति की मूर्ति पर समाप्त हुआ।

पत्र में कहा गया कि उन्हें उनकी अनध‌िकृत गतिविधियों से रोकने का प्रयास किया गया, हालांकि उन्होंने ड्यूटी पर मौजूद पुलिस कर्मियों की बात मानने से मना कर दिया।

पत्र को गंभीरता से लेते हुए बेंच ने कहा- "उक्त घटना में अधिक चिंता की बात यह है कि हाईकोर्ट के तीन पूर्व जजों का विरोध प्रदर्शन में शामिल होने का है।" बेंच में ज‌स्टिस सुब्रमण्यम प्रसाद भी शामिल हैं।

बेंच ने आगे कहा-

"उक्त घटना की गंभीरता पूरी न्यायिक प्रणाली को सतर्क करती है, क्योंकि इससे भविष्य के सुरक्षा उपायों पर बड़ा प्रभाव पड़ सकता है, जिनका फैसला उच्च न्यायालय द्वारा लिए जाने आवश्यकता हो सकती है।"

बेंच ने यह कहते हुए कि इस घटना पर 'तत्काल चिंता व्यक्ति किए जाने की आवश्यकता है', कोर्ट की सुरक्षा समिति को निर्देश दिया कि वह अपने सुझावों के साथ मामले पर तत्काल ध्यान दे और न्यायिक पक्ष की ओर से मामले में उचित कार्रवाई करने के मसले पर रिपोर्ट करे अथवा अगली तारीख तक रिपोर्ट करे।

उल्‍लेखनीय है कि एडिशनल सॉलिसिटर जनरल कह चुके हैं कि 'कोर्ट परिसर के भीतर दो जोनों के संचालन के कारण' सीआईएसएफ सुरक्षा उपायों को मानकीकृत नहीं किया गया है अधिवक्ताओं द्वारा हिंसक प्रदर्शनों के बाद CISFने कोर्ट के आदेशानुसार 2015 में परिसर की सुरक्षा का जिम्‍मा खुद संभाल लिया था।

एएसजी ने कहा था - "इसलिए, समन्वय की कमी और एक ही मानक का प्रयोग न होना, भविष्य में चिंता का विषय हो सकता है। इसनलिए वह सुझाव देते हैं कि जिन ऑपरेशनल सिस्टम्स का पालन किया जाना है, उनका समन्वय ऐसे हो कि पूरे परिसर की सुरक्षा को, खतरे की आशंका को ध्यान में रखते हुए और ऐसी अन्य घटनाओं को ध्यान में रखते हुए, मानकीकृत किया जाना चाहिए।''

इस आधार पर, बेंच ने कहा: "पूर्वोक्त चिंताओं और रिपोर्ट की गई घटना को ध्यान में रखते हुए, हम सुरक्षा समिति से निवेदन करते हैं कि इन मुद्दों पर विचार-विमर्श करें और पुलिस महानिदेशक, तमिलनाडु राज्य के साथ उच्च स्तर का समन्वय स्‍थापित करें। साथ ही सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम करने के लिए स्थानीय कमांडेंट सहित केंद्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल के उच्‍च पदस्‍थ अधिकारियों के साथ भी समन्वय करें।"

महत्वपूर्ण बात यह है कि कोर्ट ने 'शुक्रवार को अपने आदेशों में रिपोर्टिंग एजेंसियों को' को निर्देश दिया कि आदेश में जो कहा गया है, उससे अलग कुछ भी ना रिपोर्ट करें, ताकि कोई गलत धारणा या भ्रम पैदा न हो'।

वहीं, जुलूस का नेतृत्व करने वाले वकीलों के समूह ने दावा किया कि जुलूस शहीद दिवस के अवसर पर महात्मा गांधी की स्मृति में आयोजित एक शांतिपूर्ण 'पदयात्रा' थी।

गुरुवार को प्रदर्शन करने वाले वकीलों और जजों के समूह द्वारा जारी प्रेस विज्ञप्त‌ि में कहा गया कि,यह हमारे लोकतंत्र की हालत का दुखद पहलू है कि शहीद दिवस पर राष्ट्रपिता की याद में आयोजित शांतिपूर्ण पदयात्रा को पुलिस द्वारा 'वकीलों और सेवानिवृत्त न्यायाधीशों की अनधिकृत गतिविधि' कहा गया।

प्रेस विज्ञप्ति जारी करने वाले समूह में वरिष्ठ अधिवक्ता बदर सईद, एनआर एलंगो नलिनी चिदंबरम, आर षणमुघासुंदरम आदि शामिल थे।

ऑर्डर पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें



वकीलों की प्रेस विज्ञप्‍ति पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें 



Tags:    

Similar News