COVID-19 टीकाकरण प्रमाणपत्र पर प्रधानमंत्री की तस्वीरः केरल हाईकोर्ट ने तस्वीर हटाने की मांग खारिज की, याचिकाकर्ता पर जुर्माना लगाया

Update: 2021-12-21 06:33 GMT

केरल हाईकोर्ट ने COVID-19 टीकाकरण के बाद नागरिकों को जारी किए गए टीकाकरण प्रमाण पत्र पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की तस्वीर की मौजूदगी के खिलाफ दायर याचिका को खारिज कर दिया है। मंगलवार को दिए फैसले में कोर्ट ने याचिकाकर्ता पर एक लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया।

जस्टिस पीवी कुन्हीकृष्णन ने फैसले में कहा,

"मेरी राय में यह परोक्ष उद्देश्य के साथ दायर की गई तुच्छ याचिका है और मुझे पूरा संदेह है कि यह याचिकाकर्ता के लिए एक राजनीतिक एजेंडा भी है। मेरा मानना है कि यह प्रचार के लिए दायर किया गया मुकदमा है। इसलिए, यह एक उपयुक्त मामला है कि है इसे भारी जुर्माने के साथ खारिज किया जाए।"

मामले में याचिकाकर्ता वरिष्ठ नागरिक और एक आरटीआई कार्यकर्ता हैं। उन्हें एक निजी अस्पताल से पैसे देकर COVID-19 टीका लिया था।। उन्हें दिए गए टीकाकरण प्रमाण पत्र पर प्रधानमंत्री की तस्वीर मौजूद ‌थी। उल्लेखनीय है कि भारत में COVID-19 टीकाकरण के बाद जारी किए जा रहे प्रमाणपत्र पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की तस्वीर चस्पा रहती है।

प्रमाणपत्र पर प्रधानमंत्री की तस्वीर से व्यथित होकर याचिकाकर्ता ने कोर्ट में याचिका दायर की थी। उन्होंने मौलिक अधिकारों के उल्लंघन का आरोप लगाया। याचिकाकर्ता की मांग थी कि यह घोषणा की जाए कि याचिकाकर्ता के COVID-19 टीकाकरण प्रमाणपत्र पर प्रधानमंत्री की तस्वीर मौलिक अधिकारों का उल्लंघन है।

साथ ही, याचिकाकर्ता ने प्रार्थना की थी कि जरूरत पड़ने पर उसे COWIN प्लेटफॉर्म से बिना प्रधानमंत्री की तस्वीर के प्रमाणमत्र जारी किए जाए।

याचिकाकर्ता की ओर से पेश एडवोकेट अजीत जॉय ने दलील दी थी कि, 

टीकाकरण प्रमाणपत्र उनका निजी स्पेश है और इस पर उनके कुछ अधिकार हैं। उन्होंने तर्क दिया था कि चूंकि याचिकाकर्ता ने अपने टीकाकरण के लिए भुगतान किया था, इसलिए राज्य को उन्हें जारी किए गए प्रमाणपत्र में प्रधान मंत्री की तस्वीर चस्पा कर, टीकाकरण के श्रेय का दावा करने का कोई अधिकार नहीं है।

मामले में उत्तरदाताओं का प्रतिनिधित्व एएसजी एस मनु ने किया था।

मामले की पिछली सुनवाई में कोर्ट ने याचिका की विश्वसनीयता की जांच की थी, जिसमें पूछा गया था कि किसी के टीकाकरण प्रमाणपत्र पर हमारे देश के प्रधानमंत्री की छवि होना शर्मनाक क्यों है?

कोर्ट ने पूछा था, 

"वह हमारे प्रधानमंत्री हैं, किसी अन्य देश के नहीं। वह जनादेश के जर‌िए सत्ता में आए हैं। केवल इसलिए कि आपके राजनीतिक मतभेद हैं, आप इसे चुनौती नहीं दे सकते ... आपको हमारे प्रधानमंत्री पर शर्म क्यों हैं? ऐसा नहीं लगता के 100 करोड़ नागरिकों को कोई दिक्‍कत है, फिर आपको क्यों है?

सभी के अपने-अपने राजनीतिक विचार होते हैं, फिर भी वह हमारे प्रधानमंत्री हैं। आप कोर्ट का समय बर्बाद कर रहे हैं।'

ये देखते हुए कि याचिकाकर्ता नई दिल्ली स्‍थ‌ित जवाहरलाल नेहरू लीडरशिप इंस्टीट्यूट का राज्य स्तरीय मास्टर कोच था, कोर्ट ने टिप्पणी की, "आप एक प्रधानमंत्री के नाम पर बने संस्थान में काम करते हैं। आप विश्वविद्यालय से उस नाम को भी हटाने के लिए क्यों नहीं कहते?"

एक अन्य पीठ ने पहले ही याचिका को यह कहते हुए निरुत्साहित कर दिया था कि इसके बड़े निहितार्थ हैं। फिर भी, याचिका को स्वीकार कर लिया गया और मामले में सभी प्रतिवादियों को नोटिस जारी किया गया।

केस शीर्षक: पीटर मायलीपरम्पिल बनाम यूनियन ऑफ इंडिया और अन्य।


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