हिंदू अविभाजित परिवार का कर्ता हिंदू अविभाजित परिवार की संपत्ति को अलग कर सकता है, भले ही उसमें नाबालिग का अविभाजित हित हो: सुप्रीम कोर्ट

Update: 2023-10-07 05:51 GMT

सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि हिंदू अविभाजित परिवार (एचयूएफ) के कर्ता को हिंदू अविभाजित परिवार (एचयूएफ) की संपत्ति को बेचने/निपटाने/अलग करने का अधिकार है, भले ही परिवार के किसी नाबालिग का अविभाजित हित हो।

न्यायालय ने बताया इसका कारण यह है कि एक एचयूएफ अपने कर्ता या परिवार के किसी वयस्क सदस्य के माध्यम से एचयूएफ संपत्ति के प्रबंधन में कार्य करने में सक्षम है। कोर्ट ने श्री नारायण बल बनाम श्रीधर सुतार (1996) 8 एससीसी 54 के फैसले का संदर्भ दिया।

जस्टिस संजीव खन्ना और जस्टिस एसवीएन भट्टी की पीठ ऋण वसूली न्यायाधिकरण में कार्यवाही को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई कर रही थी। याचिकाकर्ता ने दावा किया कि विचाराधीन संपत्ति एक संयुक्त परिवार की संपत्ति/हिंदू अविभाजित परिवार (एचयूएफ) की संपत्ति थी, जिसे याचिकाकर्ता के पिता ने गारंटर के रूप में गिरवी रखा था।

न्यायालय ने पाया कि याचिकाकर्ता के पिता, एचयूएफ के कर्ता के रूप में एचयूएफ की संपत्ति को गिरवी रखने के हकदार थे।

कोर्ट ने कहा, "एचयूएफ के अन्य सदस्यों को इसमें सहमति देने वाले पक्ष होने की आवश्यकता नहीं है। अलगाव के बाद एक सहदायिक कर्ता के कार्य को चुनौती दे सकता है, यदि अलगाव कानूनी आवश्यकता या संपत्ति की बेहतरी के लिए नहीं है।"

केस टाइटल : एनएस बालाजी बनाम पीठासीन अधिकारी, ऋण वसूली न्यायाधिकरण और अन्य | एसएलपी(सी) 21476-21477/2023

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